अनुमान से कई गुना अधिक दर्शनार्थी पहुंच रहे रामनगरी

अनुमान ध्वस्त हो रहे हैं और रामनगरी आस्था के शिखर का आलिंगन कर चहक रही है। विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे थे कि राम मंदिर के निर्माण और रामलला के विग्रह की प्रतिष्ठा के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तीन से पांच गुना तक बढ़ जाएगी, किंतु गत दस दिनों का अनुभव बताता है कि यह संख्या उससे काफी अधिक है।

रामलला की प्रतिष्ठापना के बाद से रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या 25 लाख के पार जा पहुंची है। प्रतिदिन औसतन ढाई लाख से अधिक लोग दर्शन कर रहे हैं, जबकि रामलला की प्रतिष्ठापना से पहले यह संख्या 20- 25 हजार थी।

22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के दिन 140 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी-अपनी विधा और क्षेत्र के शीर्ष पर विराजे साढ़े छह हजार अतिथि ही शामिल हुए थे और उन्हें ही रामलला के दर्शन का अवसर मिला, किंतु अगले दिन यानी 23 जनवरी से आस्था का ज्वार उमड़ा। उस दिन के दर्शनार्थियों की संख्या पांच लाख तक जा पहुंची।

गुरुवार को भी रामलला के लिए उमड़ा आस्था के ज्वार
समझा गया कि एक-दो दिन के बाद दर्शनार्थियों की संख्या सामान्य होगी, किंतु दस दिन हो गए और दर्शनार्थियों का ज्वार नित्य उमड़ रहा है। गुरुवार को भी रामलला आस्था के ज्वार से अभिषिक्त हो रहे थे। बुधवार, गुरुवार व शुक्रवार के दिन अपेक्षाकृत कम श्रद्धालुओं के आने की प्रवृत्ति देखी जाती है और यदि इन दिनों श्रद्धालुओं की संख्या दो लाख तक पहुंच रही है, तो मंगलवार, शनिवार एवं रविवार को यह तीन लाख पहुंच जाए तो आश्चर्य नहीं।

24 फरवरी को माघ पूर्णिमा और 17 अप्रैल को रामनवमी जैसे पर्वों पर तो दर्शनार्थियों की संख्या पांच लाख से 10 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। यह अनुमान रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के माथे पर चिंता की लकीर भी पैदा करने वाला है। रामलला के प्रधान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास कहते हैं, हम 23 जनवरी को पांच लाख श्रद्धालु आने के अनुभव से गुजर चुके हैं, किंतु इससे डेढ़ या दो गुना और अधिक श्रद्धालु आने का अनुमान विचलित करने वाला है।

निकट भविष्य में और वृद्धि की संभावना
श्रद्धालुओं के आगमन की प्रवृत्ति को देखते हुए निकट भविष्य में उनकी संख्या में और वृद्धि की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। यद्यपि श्रद्धालुओं का प्रवाह लघु भारत का परिचायक है, किंतु इसमें दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं का आधिक्य है जो उत्तर-दक्षिण की भौगोलिक-सांस्कृतिक एकता को भी परिपुष्ट करता है।

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