उद्यमी परेशान: युवाओं ने छोड़ी बनियान, होजरी उद्योग एक शिफ्ट में सिमटा

एक जिला एक उत्पाद में शामिल होजरी उद्योग वर्तमान में मांग की समस्या से जूझ रहा है। युवाओं में परंपरागत सफेद बनियान पहने का चलन कम हो रहा है, वे अन्य परिधान को तरजीह दे रहे हैं। इसका असर यह है कि कानपुरर में दो शिफ्ट में चलने वाली इकाइयों में केवल एक शिफ्ट चल रही है। उत्पादन 30-40 प्रतिशत कम हो गया है।

उद्यमियों का कहना है कि कोलकाता और तिरुपुर में बनने वाले उत्पादों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए जरूरी है कि उद्योग को तकनीक रूप से अपग्रेड किया जाए। होजरी क्लस्टर समय की जरूरत है। 12 साल पहले इसके लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी भी दी थी लेकिन राज्य के अफसरों ने मामला आगे नहीं बढ़ने दिया। शहर के दर्शनपुरवा, पनकी, दादानगर, चकेरी में होजरी उद्योग फैला हुआ है।
अंग्रेजों के शासन के समय से शहर में ये उद्योग स्थापित हैं। 2020 में एक जिला एक उत्पाद योजना में होजरी को शामिल किया गया। शहर में होजरी उद्योग बढ़ रहा है लेकिन कोलकाता और तिरुपुर के अनुपात में कहीं भी नहीं ठहरता है। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि उप्र में 80 प्रतिशत होजरी उत्पादों की जरूरत बाहर राज्यों के ब्रांड से ही पूरी होती है।

परंपरागत होजरी उत्पाद ही बना रहे हैं कारोबारी
जानकारों का कहना है कि युवाओं में सफेद बनियान का क्रेज कम होने और टी-शर्ट या रंगीन बनियान की मांग से उद्योग पर असर है। होजरी के अन्य उत्पाद जैसे टीशर्ट, बरमूडा, लोअर आदि कानपुर में नहीं बनते हैं। इनकी आपूर्ति कोलकाता और तिरुपुर से की जाती है। अब इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है। कारोबारी परंपरागत होजरी उत्पाद ही बना रहे हैं। शहर में इकाइयां पुरानी और तकनीक रूप से बेहद पीछे हैं।

100 करोड़ का निवेश करे सरकार
उद्यमियों की मांग है कि होजरी उद्योग को अपग्रेड करने के लिए करीब 100 करोड़ की जरूरत है। उच्च तकनीक वाली निटिंग, प्रोसेसिंग यूनिटें, ऑटोमेटिक कटिंग मशीन उद्योगों को सरकार उपलब्ध कराए। कर्मचारियों को कुशल बनाया जाए। नई तकनीक वाली सिलाई मशीनें, प्रिंटिंग और एम्ब्रायडरी वाली तकनीक और मशीनें मिलें। होजरी उद्योग को संगठित किया जाए। उत्पादन करने वाली इकाइयों के उद्यमियों को प्रशिक्षण मिले।

ओडीओपी में शामिल शहर का होजरी उद्योग मांग के संकट से जूझ रहा है। एक हजार करोड़ के सालाना कारोबार पर असर है। होजरी उद्योग सबसे ज्यादा रोजगार देता है। होजरी इकाइयों, उद्यमियों का तकनीकी अपग्रेडेशन वक्त की जरूरत है। होजरी क्लस्टर बनना बेहद जरूरी है। -बलराम नरूला, एमडी, जैट निटवियर

मांग में कमी के चलते 30-40 प्रतिशत इकाइयां एक शिफ्ट में चल रही हैं। ठेके पर लगने वाले कर्मचारियों को बुलाया नहीं जा रहा है। उद्योग का आकलन है कि युवा सफेद बनियान कम पहन रहे हैं। माघ मेला के दौरान होने वाली बंदी खत्म हो। पनकी आईसीआई नाला में एसटीपी बनाया जाए। -मनोज बंका, अध्यक्ष पीआईए और होजरी उद्यमी।

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