मिस्र बना मानवता के मिसाल
किसी की परेशानी में काम आना ही मानवता है. हमारे देश में भीख मांगने वालों को न केवल हिकारत की नज़र से देखा जाता है, बल्कि भीख न देते हुए उन्हें दुत्कारा भी जाता है .हालाँकि कुछ ऐसे दयालु भी होते हैं ,जो इनकी मदद करते हैं. लेकिन कई भिखारी भी दी गई भीख को नशे या अन्य गलत कामों में खर्च करते हैं.इससे आदमी भीख देने से कतराता है.लेकिन मिस्र एक ऐसा देश है, जहां लोग ऐसा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.मानवता की सीख मिस्र से ली जा सकती है.
उल्लेखनीय है कि गरीबों को पैसा देना मिस्र की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है .इस काम को वहां ‘फरोह’ कहा जाता है, जिसे लोग प्राचीन समय से करते आ रहे हैं.वहां की सड़कों पर भीख मुस्कुरा कर दी जाती है.कई बार न मांगने पर भी लोग उन्हें कपड़े, पैसे और खाना बांट देते हैं.वहाँ की मान्यता है कि मुश्किल घड़ी में किसी की मदद करने पर आपका मुश्किल वक्त भी चला जाता है.मिस्र में ‘मात’ को सद्भाव का देवता माना जाता है.
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आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मिस्र में गरीबों और भिखारियों की मदद करने के लिए शिविर भी लगाए जाते हैं, जहां जरूरतमंदों को उनकी जरूरत के अनुसार चीजें उपलब्ध कराई जाती हैं. भिखारी बच्चों को खिलौने भी बांटे जाते हैं. इसके अलावा मिस्र के कुछ लोगों द्वारा ऐसे बच्चों को मुफ्त में शिक्षा भी उपलब्ध कराई जाती है, जो शिक्षा से वंचित हैं. वैसे भी मिस्र में यूं भी लोग एक-दूसरे की मदद करना अच्छा मानते हैं, क्योंकि इनका मानना है कि ईश्वर ने आपको दुनिया में इसलिए भेजा है, ताकि आप अपने कमजोर लोगों की भी मदद कर सकें. सच में मानवता सीखनी हो तो मिस्र इसकी बेहतरीन मिसाल है .