कोरोना के चलते इस शख्स ने शराब की ऐसी मांग कि कोर्ट ने लगाया जुर्माना
इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है और भारत में भी धीरे-धीरे कोरोना लगातार पैर पसार रहा है. देश में 200 से ज्यादा कोरोना के मरीज पाए गए हैं जबकि चार लोगों की जान ये वायरस अब तक ले चुका है. जहां सरकार इसे रोकने के लिए लोगों से दूरी बनाए रखने और सेल्फ आइसोलेशन में रहने की अपील कर रही है वहीं ऐसे भी लोग है जो इस आपात की स्थिति में शराब की होम डिलीवरी के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पहुंच गए.
देश महामारी से जूझ रहा है. ऐसे समय में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए शराब की होम डिलीवरी की मांग करने वाली एक याचिका पर केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिकाकर्ता पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया.
जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार ने याचिकाकर्ता, डेसोम के जी ज्योतिष अलुवा के इस गैरजरूरी मांग और याचिका पर निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के भीतर मुख्यमंत्री राहत राहत कोष में जुर्माने की राशि का भुगतान करें और रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष रसीद को जमा कराएं. यदि याचिकाकर्ता राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उससे राजस्व वसूली की कार्यवाही के माध्यम से जुर्माना वसूला जाएगा.
इसे भी पढ़ें: कोरोना वायरस का कहर, अब तक देश में 4 की मौत और 258 लोग संक्रमित
कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए बेवरेजेज कॉरपोरेशन को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए शराब बेचने के निर्देश देने की याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता ने अपना याचिका में शराब की व्यावसायिक दुकानों पर होने वाली भीड़ से बचने के लिए ये मांग की थी. याचिका में कहा था कि कोरोना वायरस के प्रकोप ने दुकान पर जाना असुरक्षित बना दिया है.
कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए बेवरेजेज कॉरपोरेशन को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए शराब बेचने के निर्देश देने की याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता ने अपना याचिका में शराब की व्यावसायिक दुकानों पर होने वाली भीड़ से बचने के लिए ये मांग की थी. याचिका में कहा था कि कोरोना वायरस के प्रकोप ने दुकान पर जाना असुरक्षित बना दिया है.
कोर्ट ने आगे कहा कि यह महान संस्था के कामकाज का भी उपहास उड़ाती है. लापरवाह, असंवेदनशील और ढीठ कार्रवाई के लिए, याचिकाकर्ता को हल्के में नहीं छोड़ा जा सकता है. अदालत ने कहा कि यह मामला एक हितग्राही की असंवेदनशीलता को दिखाता है. बृहस्पतिवार तक कोरोना वायरस से कुल 9,020 लोगों की मौत हुई है. इनमें से यूरोप में मरने वाले लोगों की संख्या 4,134 जबकि एशिया में 3,416 है.