क्या आपको राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के बारे में अंतर पता है, यदि नहीं, तो हम इस खबर में जानें..

भारत एक विशाल देश है, जो कि State और Union Territory से मिलकर बना है। भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। हालांकि, क्या आपको राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के बारे में अंतर पता है, यदि नहीं, तो हम इस खबर में हम आपको बताते हैं इन दोनों के बीच का अंतर।

भारत 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों से मिलकर बना है। यहां के प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की अपनी संस्कृति, भाषा, पोशाक, पर्व, इतिहास और भूगोलिक स्थिति है। यही वजह है कि भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां पर कुछ किलोमीटर की दूरी पर भाषा और खान-पान में बदलाव देखा जाता है।

भारत में व्यवस्थित प्रशासन चलाने के लिए अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी जिम्मेदारी है। देश की राजधानी दिल्ली भी एक केंद्र शासित प्रदेश है। हालांकि, क्या आपको State और Union Territory के बीच अंतर पता है। यदि नहीं, तो हम इस लेख के माध्यम से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के बीच अंतर को समझेंगे। 

राज्य क्या होता है? (What is State?)

भारतीय संविधान के अनुसार राज्य केंद्र से अलग एक स्वतंत्र ईकाई (Independent Unit) होती है। राज्य अपनी सरकार को खुद चुनते हैं। इसके लिए चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से सरकार को चुना जाता है। वहीं, संसद द्वारा राज्य विशेष के लिए नियम नहीं बनाए जाते हैं। प्रत्येक राज्य में एक मुख्यमंत्री और विधानसभा होती है।

वहीं, भारत के 6 राज्यों में विधानसभा के साथ विधान परिषद भी हैं, जो कि आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक और महाराष्ट हैं। मुख्यमंत्री होने के साथ ही प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल भी होता है, जो कि कार्यकारी अध्यक्ष होता है। साथ ही वह राज्य में राष्ट्रपति का रिप्रेजेंटेटिव भी होता है। वहीं, एक UT की तुलना में राज्य की जनसंख्या और क्षेत्रफल अधिक होता है।

Union Territories क्या होती हैं?

UT (What is Union Territories) यानि केंद्र शासित प्रदेश भी एक यूनिट है। यहां पर केंद्र सरकार द्वारा शासन होता है। हालांकि, दिल्ली कुछ मामलों में यहां पर अपवाद है। केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार की ओर से उपराज्यपाल को नियुक्त किया जाता है। एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा हो भी सकती है और नहीं भी।

उदाहरण के तौर पर संविधान में 69वें संशोधन, एक्ट 1991 के तहत दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) का दर्जा प्राप्त हुआ था। इसके साथ ही यहां पर विधानसभा के गठन का भी प्रावधान है।

वहीं, पुड्डुचेरी में भी विधानसभा है। केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष कानून बनाने पर केंद्र सरकार से भी मंजूरी लेनी होती है। 

राज्यपाल और उपराज्यपाल में क्या अंतर होता है?

राज्यपाल (Who is Governor) किसी राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है, जबकि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पुड्डुचेरी और दिल्ली में उपराज्यपाल (Who is lieutenant governor) की नियुक्ति केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर होती है।

किसी राज्य में राज्यपाल की शक्तियां नाममात्र की होती हैं। सारी शक्तियां मुख्यमंत्री और उसके मंत्री मंडल में निहित होती हैं, वहीं उपराज्यपाल अपने केंद्र शासित प्रदेश में वास्तविक प्रशासक होता हैं। इन प्रदेशों में मुख्यमंत्री की शक्तियां नाममात्र की होती है।

राज्यपाल अपने राज्य में मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है, जबकि उपराज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति नहीं करता है। केंद्रशासित प्रदेशों में (जहां मुख्यमंत्री का प्रावधान है) मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

क्या होता है उपराज्यपाल?

केंद्रशासित राज्यों दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में दूसरे राज्यों की तरह विधानसभाएं हैं। अभी सिर्फ दिल्ली और पुडुचेरी में निर्वाचित सरकार है। इन जगहों पर उपराज्यपाल (Lieutenant Governor or LG) का पद होता है, जो केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर काम करता है। अन्य केंद्र शासित राज्यों में प्रशासक नियुक्त होते हैं। उप राज्यपाल केंद्र शासित प्रदेश का मुख्य प्रशासक (chief administrator of the Union Territory) होता है।

केंद्र सरकार इनके माध्यम से उस प्रदेश में शासन करती है। जहां राज्यों में शासन के सारे अधिकार मुख्यमंत्री के पास होते हैं, वहीं इन केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्यमंत्री के सारे अधिकार उपराज्यपाल को मिले होते हैं। जम्मू-कश्मीर में फिलहाल निर्वाचित सरकार नहीं है, तो वहां पर उपराज्यपाल ही मुख्य है।

उपराज्यपाल का क्या काम होता है?

उपराज्यपाल विधानसभा का सत्र बुलाते हैं। उपराज्यपाल के पास विधानसभा का विघटन और स्थगन करने का अधिकार होता है। (powers of the Lieutenant Governor)

उपराज्यपाल किसी भी मुद्दे पर या लंबित विधेयक पर राज्य विधान सभा को संदेश भेजने का अधिकार रखते हैं। इस संदेश पर हुई कार्यवाही की रिपोर्ट राज्य विधानसभा को उपराज्यपाल को देनी होती है।

उपराज्यपाल के पास बिल को पास करने या न करने का अधिकार होता है। जैसे अगर कोई बिल कर लगाने, हटाने, कर में छूट देने, वित्तीय दायित्वों से संबंधित कानून में परिवर्तन, राज्य की समेकित निधि के विनिमय आदि संबंध में हो। बिलों को विधान सभा में पेश करने से पहले उपराज्यपाल की सहमति की आवश्यकता होती है।

राज्यपाल किसे कहा जाता है?

  • जिस प्रकार केंद्र में शासन प्रमुख रूप में राष्ट्रपति होता है, उसी प्रकार राज्यों में एक संवैधानिक प्रमुख की व्यवस्था की गई है। राज्यों के इस संवैधानिक प्रमुख को राज्यपाल कहा जाता है। वह राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख होता है।
  • राज्यपाल राज्य में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है इसके साथ ही राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख की भूमिका भी निभाता है।
  • राज्यपाल, उस राज्य में मंत्री परिषद की सलाह के अनुसार कार्य करता है। राज्यपाल अपने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति भी होते हैं।
  • राज्य में कार्यपालिका से संबंधित सभी कार्य उस राज्य के राज्यपाल ही करते हैं। राज्यपाल न केवल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है बल्कि उनकी सलाह पर राज्य की मंत्रिपरिषद के अन्य मंत्रियों की भी नियुक्ति करता है।

वह सामान्यत: राज्य की विधान सभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है, लेकिन अगर किसी एक दल को बहुमत न मिला हो तो ऐसे गठबंधन दलों के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है, जिसके द्वारा विधान सभा में बहुमत प्राप्त करने की संभावना होती है। वह मुख्यमंत्री की सलाह पर विभिन्न मंत्रियों के बीच मंत्रालयों का बंटवारा करता है।

राज्यपाल का क्या काम होता है?

  • राज्यपाल (what powers does the governor have) को राज्य के विधानमंडल के सत्र को बुलाने और समाप्त करने का अधिकार होता है। वह राज्य के मंत्रिपरिषद की सलाह पर राज्य विधान सभा को भंग कर सकता है।
  • अनुच्छेद 175 के अनुसार वह राज्य विधान सभा के सत्र को और जिस राज्य में दो सदन हैं, वहां दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित कर सकता है। वह किसी एक सदन या दोनों सदनों को अपना सन्देश भेज सकता है।
  • यदि राज्य में विधान परिषद है तो राज्यपाल विधान परिषद् की कुल सदस्य संख्या के लगभग 1/6 भाग को नामनिर्देशित करता है। ये नामनिर्देशित सदस्य ऐसे होते हैं जिनको साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आन्दोलन या समाज सेवा का विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव होता है।
  • राज्य के विधानमंडल के द्वारा पारित किसी भी बिल को कानून बनने के लिए राज्यपाल की सहमति जरूरी होती है।

इस संदर्भ में, राज्यपाल के पास ये अधिकार होते हैं:

  • वह बिल को अपनी सहमति दे सकता है, इस स्थिति में वह बिल कानून बन जाता है।
  • वह बिल पर अपनी सहमति रोक सकता है, इस स्थिति में वह बिल कानून नहीं बन पाता है।
  • वह उस बिल को अपने संदेश के साथ वापस भेज सकता है, लेकिन यदि विधानमंडल उस बिल को फिर उसी रूप में या कुछ परिवर्तनों के साथ पारित कर देता है तो राज्यपाल को उस पर सहमति देनी होगी।
  • वह बिल को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रख सकता है।
  • राज्यपाल की पूर्व-अनुमति के बिना धन विधेयक को राज्य की विधान सभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
  • राज्य के विधानमंडल में वार्षिक और पूरक बजट राज्यपाल के नाम से ही प्रस्तुत किए जाते हैं।
  • राज्य की आकस्मिकता निधि पर राज्य के राज्यपाल का नियंत्रण होता है।

भारत के 8 केंद्र शासित प्रदेश कौन कौन हैं?

  • दिल्ली – नई दिल्ली
  • अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह – पोर्ट ब्लेयर
  • चंडीगढ़ – चंडीगढ़
  • पुडुचेरी – पुडुचेरी
  • दमन और दीव, दादरा और नागर हवेली – दमन
  • लक्षद्वीप – कवरत्ती
  • जम्मू और कश्मीर – श्रीनगर
  • लद्दाख – लेह

28 राज्यों की राजधानी कौन सी है?

  • आंध्रप्रदेश – अमरावती
  • अरूणाचल प्रदेश – ईटानगर
  • असम – दिसपुर
  • बिहार – पटना
  • छत्तीसगढ़ – रायपुर
  • गोवा – पणजी
  • गुजरात – गांधीनगर
  • हरयाणा – चंडीगढ़
  • हिमाचल प्रदेश – शिमला/धर्मशाला
  • झारखंड – रांची
  • कर्नाटक – बेंगलुरु
  • केरल – तिरुवनंतपुरम
  • मध्य प्रदेश – भोपाल
  • महाराष्ट्र – मुंबई
  • मणिपुर – इंफाल
  • मेघालय – शिलॉंग
  • मिजोरम – ऐजौल
  • नगालैंड – कोहिमा
  • ओडिशा – भुवनेश्वर
  • पंजाब – चंडीगढ़
  • राजस्थान – जयपुर
  • सिक्किम – गंगटोक
  • तमिल नाडू – चेन्नई
  • तेलंगाना – हैदराबाद
  • त्रिपुरा – अगरतला
  • उत्तर प्रदेश – लखनऊ
  • उत्तराखंड – देहरादून
  • पश्चिम बंगाल – कोलकाता

पुडुचेरी को क्यों बनाया केंद्र शासित प्रदेश?

दरअसल, विशेष परिस्थितियों में ही केंद्र शासित प्रदेश का गठन किया जाता है। भौगोलिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और जनकल्याण को देखते हुए ही केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाते हैं।

पुडुचेरी (Union Territory Puducherry) पर लंबे समय तक फ्रांस का शासन रहा। आखिरकार यह 1 नवंबर 1954 को फ्रांसीसी शासन से मुक्त हुआ। साल 1963 में पेरिस में फ्रांसीसी संसद द्वारा भारत के साथ संधि की पुष्टि के बाद पुडुचेरी आधिकारिक रूप से भारत का अभिन्न अंग बन गया और इसी साल इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।

पुडुचेरी को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के पीछे का कारण यह था कि यहां की संस्कृति फ्रांस से मिलती है और इसकी सांस्कृतिक विविधता बनाए रखने के लिए पुडुचेरी को किसी अन्य राज्य के साथ नहीं मिलाया गया।

पुडुचेरी की एक और विशेषता यह है कि इसके 4 जिले अलग-अलग राज्यों से घिरे हुए हैं, जिनमें माहे केरल के पास, यानम आंध्र प्रदेश के पास, पुडुचेरी और कराईकल तमिलनाडु के पास स्थित हैं। ऐसे में यह जरूरी था कि इस प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर ही रखा जाए।

‘दिल्ली’ एक केंद्र शासित प्रदेश

पुडुचेरी की तरह ही दिल्ली (Union Territory of Delhi) की भी अपनी विधानसभा, मंत्रिमंडल और मुख्यमंत्री है और इन दोनों प्रदेशों में उपराज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के तालमेल से ही पुडुचेरी और दिल्ली में सरकार चलती है।

साल 1956 से 1991 तक दिल्ली मुख्य रूप से केंद्र शासित प्रदेश ही था, लेकिन यहां पर विधानसभा और मंत्रिमंडल अस्तित्व में नहीं था। संविधान में 69वें संशोधन के साथ ही 1991 में दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा मिला। तभी से यहां पर विधानसभा और मंत्रिमंडल अस्तित्व में है।

केंद्र शासित प्रदेश का महत्व क्या है?

  • 1954 में, पुडुचेरी को फ्रांसीसी शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत गणराज्य में विलय कर दिया गया और पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेश (Why were union territories formed?) बन गया। 1963 में पुडुचेरी को आंशिक राज्य का दर्जा दिया गया।
  • 1961 में, पुर्तगाली शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, दमन और दीव और गोवा को भारत गणराज्य में मिला दिया गया था। 1987 में, गोवा को राज्य का दर्जा दिया गया और ऐसा दर्जा पाने वाला वह पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया।
  • 2020 में, दादरा और नगर हवेली, और दमन और दीव को दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के रूप में जाना जाने वाले एकल केंद्र शासित प्रदेश में मिला दिया गया।
  • 1970 के दशक की शुरुआत में, मणिपुर, त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया गया था। चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश बना।
  • दिल्ली पहले एक राज्य था। 27 मार्च 1952 को 48 सीटों पर पहले दिल्ली विधान सभा चुनाव हुए। चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री थे।
  • हालाँकि, 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के बाद, दिल्ली ने अपना राज्य का दर्जा खो दिया और एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया।
  • 1991 में, केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को आंशिक राज्य का दर्जा दिया गया और इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के रूप में जाना जाने लगा।
  • 2019 में, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था और इसने जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित किया।

केंद्र शासित प्रदेश (UT) क्या हैं?

केंद्र शासित प्रदेश (UTs) संघीय क्षेत्र हैं और भारत की केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में, उपराज्यपालों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है जो उनके प्रशासक के रूप में कार्य करते हैं।

हालांकि, पुडुचेरी, जम्मू और कश्मीर और दिल्ली इस संबंध में अपवाद हैं और आंशिक राज्य की स्थिति के कारण एक निर्वाचित विधायिका और सरकार है जो उन्हें विशेष संवैधानिक संशोधन के तहत प्रदान की गई थी।

वर्तमान में, भारत में 8 केंद्र शासित प्रदेश (UT’s) हैं: दिल्ली, अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी।

भारत में केंद्र शासित प्रदेशों के प्रकार?

भारत में दो तरह के केंद्र शासित प्रदेश हैं, जो इस प्रकार हैं:

  • विधानमंडल वाले केंद्र शासित प्रदेश- दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी। 
  • विधानमंडल रहित केंद्र शासित प्रदेश – अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, लद्दाख और लक्षद्वीप। 
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि दिल्ली, जम्मू और कश्मीर और पुडुचेरी को छोड़कर केंद्र शासित प्रदेशों का राज्यसभा (उच्च सदन) में कोई अलग प्रतिनिधित्व नहीं है।

केंद्र शासित प्रदेश कैसे बनता है?

अलग – अलग परिस्थितियों के चलते भारत में केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए हैं। इनमें क्षेत्रों का छोटा आकार और कम जनसंख्या, अलग संस्कृति और दूसरे राज्यों से दूरी जैसी वजहें शामिल हैं। इसके अलावा प्रशासनिक महत्व और स्थानीय संस्कृतियों की सुरक्षा करने के चलते भी भारत में केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए हैं।

भारत में क्यों थी केंद्र शासित प्रदेशों की आवश्यकता?

केंद्र शासित प्रदेश (Union Territories Requirement in India) की अवधारणा को पहली बार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 में पेश किया गया था। यह उन क्षेत्रों को संदर्भित करता है जो स्वतंत्र होने के लिए बहुत छोटे हैं या आसपास के राज्यों के साथ विलय करने के लिए बहुत अलग (आर्थिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से) हैं या आर्थिक रूप से कमजोर हैं या राजनीतिक रूप से अस्थिर हैं।

उपरोक्त कारणों से, वे अलग-अलग प्रशासनिक इकाइयों के रूप में जीवित नहीं रह सके और उन्हें केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित किए जाने की आवश्यकता थी।

केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ फैक्ट्स:

  • अंडमान और निकोबार, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और पुडुचेरी में लेफ्टिनेंट गवर्नर (Lieutenant Governors) हैं।
  • चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव और लक्षद्वीप में प्रशासक (Administrators) हैं।
  • बनवारीलाल पुरोहित, पंजाब के माननीय राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक हैं।
  • 2020 में, दादरा और नगर हवेली, और दमन और दीव को एक केंद्र शासित प्रदेश में मिला दिया गया और प्रफुल्ल पटेल द्वारा प्रशासित किया गया। विलय किए गए केंद्र शासित प्रदेश को दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के नाम से जाना जाता है।
  • अनुच्छेद 239 के अनुसार भारत का राष्ट्रपति केंद्र शासित प्रदेशों का मुख्य प्रशासक (Chief Administrator) होता है।
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