बच्चों के सरनेम को लेकर पति ने दिया पत्नी को तलाक, कोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला

माता-पिता अगर बच्चों के साथ एक टीम की तरह न पेश आएं तो बेशक उनकी टेंशन बच्चों पर बुरा असर डालती है. अगर पति-पत्नी छोटी-मोटी बातों को लेकर एक दूसरे से लड़ेंगे, तो बच्चे भी झगड़ा करना ही सीखेंगे. हाल ही में एक पति-पत्नी (Man divorce wife over children surname) के चर्चे हो रहे हैं, जो इतनी अजीब चीज के लिए लड़ रहे हैं कि उनके बारे में जानकर हर कोई हैरान है. दरअसल, वो सिर्फ इस बात से लड़ने लगे कि उनके बच्चों का सरनेम बीवी के उपनाम पर होगा या पति के. इस चक्कर में पति ने बीवी को तलाक भी दे दिया. पर कोर्ट ने जो फैसला लिया, वो पति के खिलाफ चला गया.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार शंघाई के रहने वाले एक शख्स ने अपनी बीवी को सिर्फ इस वजह से तलाक दे दिया क्योंकि उन दोनों में बच्चों के सरनेम को लेकर झगड़ा हो गया था. पति का सरनेम शाओ था और बीवी का सरनेम जी था. 2019 में उनकी बेटी हुई थी, जिसने पति का सरनेम लिया और 2021 में उनका बेटा हुआ, जिसने पत्नी का सरनेम लिया. पति हमेशा इस बात से लड़ता रहता कि बेटे को भी पिता का ही सरनेम मिलना चाहिए.

सरनेम को लेकर बीवी को दिया तलाक
इस वजह से दोनों अलग हो गए और 2023 में फैसला किया कि वो तलाक ले लेंगे. जब से कपल अलग हुए थे, दोनों बच्चे मां के साथ ही रह रहे थे. पति हमेशा बोलता रहता कि वो एक बच्चे की कस्टडी चाहता है, पर बीवी दोनों की ही कस्टडी चाहती थी. तब पति मामले को कोर्ट में लेता गया. उसका कहना था कि वो सालों से बच्चों के साथ रह रही है, इस वजह से अब वो कस्टडी चाहता है. चीनी कोर्ट बच्चों को ध्यान में रखते हुए ही उनकी कस्टडी पिता या मां को सौंपते हैं. कोर्ट ने कस्टडी मां को सौंप दी.

कोर्ट ने मां को दी कस्टडी
इस बात से पति खुश नहीं था, इस वजह से उसने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई. पर वहां से भी नतीजा सुनकर वो चौंक गया क्योंकि कोर्ट ने मां को ही बच्चों की कस्टडी सौंप दी. कोर्ट ने आदेश दिया कि वो बच्चों के 18 साल के होने तक उनकी पढ़ाई-लिखाई के लिए पैसे दे. सोशल मीडिया पर ये मामला वायरल होने लगा तो लोगों ने कहा कि कोर्ट का फैसला सही है क्योंकि ऐसी छोटी बात के लिए बीवी को तलाक दे देना बिल्कुल भी ठीक नहीं है.

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