हरियाणा के राज्य गीत के लॉन्च से पहले विवाद: लेखिका गीतू परी ने किया क्रेडिट का दावा

हरियाणा के राज्य गीत “जय, जय, जय मेरा हरियाणा” के आधिकारिक लॉन्च से पहले ही यह गीत विवादों में घिर गया है। सोनीपत के सेक्टर-23 निवासी अभिनेत्री एवं लेखिका गीतू परी ने राज्य गीत के लिरिक्स पर आपत्ति जताते हुए दावा किया है कि यह गीत उनके लिखे “हरि का प्यारा हरियाणा” गीत से काफी हद तक मिलता-जुलता है। गीतू परी ने मांग की है कि राज्य गीत के लिए उन्हें भी क्रेडिट दिया जाना चाहिए।

गीतू परी ने पेश किए अपने दावे के सबूत
गीतू परी का कहना है कि उन्होंने 29 जनवरी 2024 को “जय-जय मेरा हरियाणा” शीर्षक से एक गीत लिखा था, जिसके बोल थे:
“हरि का प्यारा हरियाणा, उरै दूध दही का खाणा।
प्रदेशों में प्रदेश हरियाणा, या पावन धरती वेदों की, जय-जय मेरा हरियाणा।”

यह गीत उन्होंने हरियाणा दिवस के अवसर पर स्टेज एप पर रिलीज किया था, जिसे लोगों ने काफी सराहा। लेकिन अब जब हरियाणा सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से “जय, जय, जय मेरा हरियाणा” गीत लॉन्च किया जा रहा है, तो गीतू परी ने इस पर आपत्ति जताई है।

लिरिक्स में समानता का दावा
गीतू परी ने कहा कि राज्य गीत में उनके गीत से कई लाइनों को हूबहू या समान शब्दों के साथ इस्तेमाल किया गया है। जैसे कि:
“हरि का प्यारा हरियाणा, उरै दूध-दही का खाणा।”
“मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, मंदिर सारै धर्म उरै पांवै, दिवाली, दशहरा, ईद और तीज उरै सारे मिलके मनावैं।”
गीतू परी का दावा है कि ये पंक्तियां उनके गीत से मेल खाती हैं और ऐसे में उन्हें इस गीत के लिए आंशिक क्रेडिट या सम्मान मिलना चाहिए।

राज्य गीत के लेखक पर भी सवाल
राज्य गीत को लेकर गीतू परी ने यह भी कहा कि डॉ. बालकिशन शर्मा के नाम से राज्य गीत को लॉन्च किया जा रहा है, लेकिन उनके गीत के कुछ हिस्से बिल्कुल उनके लिखे गाने से मिलते-जुलते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि उन्हें भी उचित क्रेडिट दिया जाए।

पांच साल से सिनेमा और लेखन से जुड़ी हैं गीतू परी
गीतू परी मूल रूप से गोहाना के गांव कोहला की रहने वाली हैं, जबकि उनकी शादी कैथल के गांव बालू में हुई थी। पिछले 30 सालों से वह सोनीपत में रह रही हैं। उन्हें बचपन से ही लेखन और अभिनय का शौक रहा है।

पिछले पांच सालों में उन्होंने 15 नाटक और 8 हरियाणवी फिल्मों में अभिनय किया है। साथ ही हरियाणवी संस्कृति पर अब तक 250 से अधिक गीत लिख चुकी हैं। वर्ष 2022 में उनकी पहली पुस्तक “हरियाणा गीतमाला” हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित की गई थी, जिसमें 151 हरियाणवी गीतों को शामिल किया गया था। उनकी दूसरी पुस्तक भी जल्द ही प्रकाशित होने वाली है।

राज्य सरकार से की क्रेडिट देने की मांग
गीतू परी ने कहा कि हरियाणा के लिए राज्य गीत होना गर्व की बात है, लेकिन अगर उनके गीत के लिरिक्स या भावनाएं राज्य गीत में ली गई हैं, तो उन्हें भी उचित क्रेडिट या सम्मान मिलना चाहिए।

हरियाणवीं से हिंदी में किया गया रुपांतरण, कोरोना काल में उसने मेल से भेजा था गीत
प्रदेश के राज्यगीत को लेकर लांचिंग से पहले विवाद शुरू हो गया है। गांव ढिंगसरा के कृष्ण ने आरोप लगाया है कि गीत की लाइनें उसकी है। उसने हरियाणवीं भाषा में लिखा था और उसे हिंदी में रुपांतरण किया गया है। 85 फीसदी तक लाइनें उसकी है और जबकि क्रेडिट किसी दूसरे को दे दिया गया है। इस संबंध में उसने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को शिकायत भेजी है और फतेहाबाद के विधायक बलवान सिंह के संज्ञान में भी मामला लाया गया है जो कि इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे।

वर्ष 2021 में उसे सूचना मिली थी कि राज्यगीत का निर्माण किया जा रहा है। इस दौरान कोरोना महामारी थी और उसने घर पर रहकर गीत तैयार किया और अधिकृत मेल पर भेज दिया गया। वर्ष 2023 में पता चला कि तीन गीतों का चयन किया गया है जिसमें जय जय हरियाणा भी शामिल है। 26 जनवरी 2024 में दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में थोड़ी सी धुन भी बजी थी। लेकिन इसके कुछ दिन बाद पता चला कि इस गीत की रचना का किसी दूसरे को क्रेडिट दिया गया है। उसने आरटीआई भी लगाई लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला। मेरा गीत हरियाणवीं भाषा में लिखा गया था और उसे हिंदी में रुपांतरण कर दिया गया। लेकिन जो मुख्य लाइन वह उसकी है। मांग है कि उसे न्याय मिलना चाहिए, क्यों कि मेहनत उसने की है और क्रेडिट दूसरे को दिया जा रहा है। कृष्ण ने कहा कि वह निजी शिक्षक है और थियेटर से लगाव है। फतेहाबाद के एमएम कॉलेज में भी वह नौकरी कर चुके है।

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