मां की भक्ति ही मोदी-योगी की शक्ति

जहां इन दिनों देशभर में आलौकिक वातावरण होता है वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखेंगे। यह कोई पहली बार नहीं, बल्कि पिछले चार दशकों से भी ज्यादा से नवरात्रि पर व्रत रखते आ रहे हैं। दोनों नवरात्रि का व्रत पूरी निष्ठा और श्रद्धा से रखते हैं। खास यह है कि नौ दिन के उपवास के दौरान हर दिन शाम को केवल कुछ चुनिंदा फल और नींबू पानी का ही सेवन करतें है. साथ ही वह इतने दिनों तक अन्न का सेवन नहीं करते हैं. इसके बावजूद मोदी-योगी व्रत के दौरान भी एनर्जी से भरपूर नजर आते हैं। इसका उदाहरण चुनावों के दौरान भी मोदी ने लगातार कई रैलियां की थीं। मोदी नवरात्रों में भी किसी काम को टालते नहीं हैं। नवरात्रि में 9 दिन तक पूरा उपवास रखने के बावजूद पीएम मोदी के रूटीन में ज्यादा बदलाव नहीं दिखता। उनकी राजनीतिक गतिविधियां बदस्तूर जारी रहती हैं। नवरात्रि के आरंभ होते ही पीएम ने ट्वीट कर सभी को शुभकामनाएं दी. उन्होंने ट्वीट में कहा कि आस्था और विश्वास का यह पावन अवसर हर किसी के जीवन में नई ऊर्जा और नए उत्साह का संचार करे।

सुरेश गांधी

वैसे तो भारत के साथ-साथ विश्व के कई देशों में नवरात्रि की धूम रहती है, मगर हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नवरात्रि का बेसब्री से इंतजार रहता है. वैसे भी पीएम मोदी का नवरात्रि से गहरा रिश्ता है. मोदी नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत तो रखते ही हैं, साथ ही साथ प्रधानमंत्री अपने हर बड़े काम की शुरुआत भी नवरात्रि पर ही करना पसंद करते हैं. साल में चार बार मां दुर्गा के नवरात्रि आते हैं शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र। इसके अलावा साल में दो बार गुप्त नवरात्रि होते हैं। मां की अराधना और आशीर्वाद प्राप्त करने का यह सबसे शुभ समय होता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की नौ दिन पूजा-अर्चना होती। जहां इन दिनों देशभर में आलौकिक वातावरण होता है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पीएम मोदी साल के दोनों नवरात्रों के व्रत रखते हैं। यानि कि मोदी साल के इन 18 दिनों में अनाज त्याग देते हैं। खास यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों सत्ता के सिंहासन पर बैठे हैं। दोनों एक ही पार्टी से हैं लेकिन इसके अलावा दोनों के बीच एक और समानता है वो ये है कि दोनों शक्ति की पूजा करते हैं। दोनों नवरात्रि में 9 दिन तक उपवास रखकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं।

योगी का ताल्लुक गोरखनाथ मठ से है लिहाजा पूजा-पाठ उनकी जिंदगी का हिस्सा रहा है। लेकिन नवरात्र के दौरान योगी आदित्यनाथ 9 दिनों तक अन्न त्यागकर देवी की कठिन उपासना करते हैं। वो सिर्फ फलाहार करते हैं और बाकी वक्त में मां दुर्गा का सप्तसती पाठ करते हैं। इस दौरान उनके साथ 21 ब्राह्मण भी लगातार मंत्रोचार करते हैं। चैत्र नवरात्र से भी कठिन व्रत योगी शारदीय नवरात्र में करते हैं। लोग बताते हैं कि उस दौरान तो आदित्यनाथ एकांतवास में चले जाते हैं और अगले 9 दिनों तक वो अपने कमरे से बाहर तक नहीं निकलते हैं। लोग कहते हैं कि योगी पूरे विधि विधान के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान अष्टमी के दिन वो अपने कमरे से बाहर निकलते हैं। उनके सिर पर उस वक्त एक खास टोपी होती है जैसी की उनके गुरु पहना करते थे। योगी के साथ भाला लेकर साधु चलते हैं। अष्टमी के दिन वो 9 कन्याओं के पैर खुद अपने हाथों से धोते हैं। उन्हें भोजन कराते हैं और फिर सभी को दक्षिणा देते हैं।

राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान जब सोमनाथ से आडवाणी की रथ यात्रा का आगाज हुआ, तो भी वक्त शारदीय नवरात्रि का ही था. 25 सितंबर 1990 में जब यात्रा शुरू हुई, तो नवरात्रि का पांचवां दिन था. उस दौरान आडवाणी के सारथी बने नरेंद्र मोदी की तस्वीरें खूब दिखीं, लेकिन बड़ा नाम न होने की वजह से कोई नहीं जानता था कि वे नवरात्रि उपवास के बाद भी इतने उत्साह से भरे हुए थे. खुद लालकृष्ण आडवाणी ने एक बार कहा था कि नवरात्रि के दौरान कड़े संकल्प का पालन करते हुए भी नरेंद्र मोदी के अंदर ऊर्जा और उत्साह की कमी बिल्कुल नहीं दिखाई दी थी.2014 में नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू होकर 14 अप्रैल तक था. लोकसभा चुनाव का पहला चरण 11 अप्रैल से शुरू हुआ था. इस दौरान प्रधानमंत्री हजारों किलोमीटर का हवाई सफर करके लगातार चुनाव प्रचार में करते रहे. भीषण गर्मी में भी मोदी केवल पानी और नींबू पानी पीते थे.

2015 में नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि के पहले दिन असम के कामाख्या देवी के मंदिर में पूजा-अर्चना कर व्रत की शुरुआत की थी. इसके बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान शुरू किया था. 29 मार्च 2017 में जीएसटी बिल के लोकसभा में पारित होने के दौरान प्रधानमंत्री चैत्र नवरात्र के उपवास पर थे. जीएसटी बिल को आजादी के बाद सबसे बड़ा टैक्स सुधार कहा जाता है. प्रधानमंत्री ने 2016 में नवरात्र के व्रत के बाद दशहरा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मनाया था. यहीं से उन्होंने यूपी में चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की. मई 2017 में हुए चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। एक बार उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा था, नवरात्रि के उपवास उनका वार्षिक आत्मशुद्धि व्यायाम है, जो उन्हें हर रात अम्बे मां के साथ बातचीत करने की शक्ति और क्षमता प्रदान करता है.

पीएम मोदी ऐसे करते हैं साधना
-मोदी के बारे में कहा जाता है कि वह जब भी सोएं लेकिन सुबह 4 बजे उठ जाते हैं।
-मोदी पिछले 40 साल से नवरात्र में व्रत रखते आ रहे हैं।
-मोदी इन 9 दिनों के दौरान अन्न त्याग देते हैं। वो फल खाते हैं और नींबू पीते हैं।
-उपवास के दौरान मोदी नींबू पानी या सादा पानी ज्यादा पीते हैं।
-मोदी 9 दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करते हैं।

मोदी की एनर्जी देख ओबामा भी हुए हैरान
पीएम मोदी सितंबर 2014 में जब अपने पहले अमेरिकी दौरे पर गए तो उस दौरान भी वो नवरात्र के उपवास पर थे। उसी दौरान 29 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबाम ने उनके सम्मान में व्हाइट हाउस में डिनर आयोजित किया। लेकिन पीएम ने तब सिर्फ नींबू पानी पिया था और कुछ फल खाए थे। नौ दिनों तक व्रत रखने वाले मोदी की एनर्जी में कोई कमी नहीं थी और ये देखकर ओबामा भी हैरान हुए थे।

मां दुर्गा पर विश्वास..9 दिन का उपवास
कन्याओं को भोजन कराने के बाद योगी हवन करते हैं और फिर निकल पड़ते हैं गोरखनाथ मंदिर में दर्शन के लिए। 9 दिन के व्रत और पूजा पाठ के बाद नई आध्यात्मिक शक्ति से भरपूर होकर दब आदित्यनाथ योगी बाहर निकलते हैं तो फिर से लोगों के बीच पहुंच जाते हैं उनकी परेशानियां सुनते हैं। लोगों की मुश्किलें कम करने की कोशिश में जुट जाते हैं। वो गौशाला भी जाते हैं और गायों की सेवा भी करते हैं। गोरखनाथ पीठ के आश्रम में रहने वाले लोग खुद बताते हैं कि योगी नवरात्रि में कितनी कठिन तप करते हैं। नवरात्रि शुरु होते ही आदित्यनाथ अन्न का त्याग कर देते हैं। वो सिर्फ फलाहार करते हैं और बाकी वक्त में मां दुर्गा का सप्तसती पाठ करते हैं। इस दौरान उनके साथ 21 ब्राह्मण भी लगातार मंत्रोचार करते हैं। चैत्र नवरात्र से भी कठिन व्रत योगी शारदीय नवरात्र में करते हैं। लोग बताते हैं कि उस दौरान तो आदित्यनाथ एकांतवास में चले जाते हैं और अगले 9 दिनों तक वो अपने कमरे से बाहर तक नहीं निकलते हैं। लोग कहते हैं कि योगी पूरे विधि विधान के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान अष्टमी के दिन वो अपने कमरे से बाहर निकलते हैं। उनके सिर पर उस वक्त एक खास टोपी होती है जैसी की उनके गुरु पहना करते थे। योगी के साथ भाला लेकर साधु चलते हैं। अष्टमी के दिन वो 9 कन्याओं के पैर खुद अपने हाथों से धोते हैं। उन्हें भोजन कराते हैं और फिर सभी को दक्षिणा देते हैं।

गोरक्षपीठाधीश्वर की शोभायात्रा
विजयादशमी के दिन सुबह 8.21 बजे से गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ शिवावतारी गुरु गोरक्षनाथ का विशिष्ट पूजन करेंगे। इसके बाद सभी देव विग्रहों एवं समाधि पर पूजन होगा। दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक मंदिर के तिलक हाल में तिलकोत्सव का कार्यक्रम चलेगा। इसके बाद 4 बजे से सीएम योगी रथ पर सवार होकर मानसरोवर मंदिर पहुंचेंगे और वहां देव विग्रहों का पूजन एवं अभिषेक करेंगे। इसके बाद विजय शोभायात्रा मानसरोवर रामलीला मैदान में पहुंचेगी जहां गोरक्षपीठाधीश्वर प्रभु श्रीराम का राजतिलक करेंगे।

मां से मिलती है मोदी को ऊर्जा
गत आठ वर्षों में जनता ने जिस नए भारत की शिल्प रचना होते हुए देखी है, उससे वह इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी है कि प्रधानमंत्री मोदी सच्चे अर्थों में जन आकांक्षाओं के प्रतिबिंब और भारतीयता के प्रतीक हैं। यद्यपि उनकी राजनीतिक यात्रा के बीच कुछ नकारात्मक ताकतों की कुचेष्टाओं और निजी आलोचनाओं ने उनके मार्ग को अवरुद्ध करने की कोशिश की, पर वह उन्हें संकल्पों से डिगा नहीं सकी। प्रत्येक आलोचना, हरेक अवरोध और विविध प्रकार के कुचक्र उनके संकल्पों को और सशक्त करते रहे। 2014 के बाद देश के भीतर राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन इसका प्रमाण हैं। जीवन के गुरुकुल में शिक्षित और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पाठशाला में दीक्षित, श्रद्धेय अटल जी के भावों से प्रेरित मोदी जी को जब भी कभी ध्येय साधना के बीच अग्निपरीक्षा की घड़ी का सामना करना पड़ा तो उन्होंने सदैव ही अर्जुन की तरह ’न दैन्यं न पलायनम्’ का उद्घोष किया। आज उनके इसी आत्मविश्वास का भाव देश के प्रत्येक नागरिक को नए भारत के निर्माण में सहभागी बनने की प्रेरणा दे रहा है। बीते दो दशकों में मोदी जी के विजन ने भारत को पुनः एकीकृत शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करने का कार्य किया है। वह दुनिया को यह संदेश देने में सफल हुए हैं कि भारत एक महाशक्ति है।

आजादी के अमृत महोत्सव पर भारत ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अर्थव्यवस्था को गति देने में उनकी निर्णायक नीतियों की महती भूमिका रही। यूनेस्को ने कुंभ को ’मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ के रूप में स्वीकार किया। श्री काशी विश्वनाथ धाम की पौराणिकता के साथ दिव्यता और भव्यता आज दुनिया के समक्ष है। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में राष्ट्र मंदिर के रूप में श्रीराम मंदिर का निर्माण भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना के रूप में प्रतिष्ठित हो रहा है। यह प्रधानमंत्री जी का विजन ही है कि योग पुनः समस्त विश्व को स्वस्थ एवं सुखी बनाने के सहज माध्यम के रूप में उभरा है। जम्मू-कश्मीर पर संवैधानिक सुधार मोदी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति से ही आकार ले सका। इस प्रकार जम्मू-कश्मीर का शेष भारत के साथ वास्तविक एकीकरण संभव हुआ। विदेश नीति में पड़ोसियों को प्राथमिकता के अभिनव प्रयास ने दक्षिण एशिया में भारत को और मजबूती प्रदान की। उनकी विदेश नीति के मूल में राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं, तो विश्व के प्रति भी उनकी संवेदनाएं प्रत्यक्ष दिखती हैं। यही कारण है कि विश्व में भारत का कद बढ़ा है और दुनिया भारत की ओर देख रही है। वस्तुतः यह भारत के नवनिर्माण की अमृत बेला है। इस अमृत काल में राष्ट्रवाद और विकास की स्वर्णिम संकल्पना से राष्ट्र जिस गौरव की अनुभूति करते हुए वैश्विक शक्ति के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहा है, पीएम मोदी उसके कुशल शिल्पकार हैं।

कब से रखते हैं व्रत …
नवरात्रि के मौके पर नरेंद्र मोदी के उपवास का सिलसिला चार दशक से भी ज्यादा पुराना है. नवरात्रि के प्रति नरेंद्र मोदी के आकर्षण की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. बात 1969-70 की है, जब नरेंद्र मोदी मेहसाणा जिले के अपने कस्बे वडनगर से निकलकर अहमदाबाद आए थे. उसी दौर में मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन प्रांत प्रचारक लक्ष्मणराव इनामदार उर्फ वकील साहब के संपर्क में आए, वकील साहब को उपवास करने की बड़ी आदत थी. मोदी भी वकील साहब की इस आदत से काफी प्रभावित हुए फिर क्या था मोदी ने भी नवरात्रि के मौके पर सभी नौ दिनों के उपवास की ठान ली. तब से मोदी लगातार नवरात्रि के मौके पर पूरी तरह अन्न का त्यागकर सिर्फ गुनगुना पानी पीते हैं. चालीस सालों से इस सिलसिले के दौरान मोदी ने अपने जीवन के कई पड़ाव भी देखे. जहाँ व्रत की शुरुआत के समय मोदी संघ के सामान्य से प्रचारक हुआ करते थे. तो आज विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश के प्रधानमंत्री हैं. मगर अपनी इस यात्रा के दौरान साल में दो बार मोदी नवरात्रि का व्रत रखना नहीं भूले. मोदी इस दौरान गुजरात बीजेपी संगठन महामंत्री, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री भी रहे.

हालाँकि, यहाँ यह जान लेना भी जरुरी है कि मोदी ने इस दौरान कभी अपने काम से छुट्टी नहीं ली, बल्कि मोदी नवरात्रिें के दौरान दुगने उत्साह के साथ अपने कामों को निपटाते नजर आए. हालांकि, पीएम मोदी नवरात्रि व्रत पर ज्यादा बात नहीं करते मगर साल 2012 में उन्होंने पहली बार इसकी जानकारी दी थी, उस समय वो गुजरात के सीएम हुआ करते थे. उन्होंने अपने ब्लॉग में बताया था कि वो बीते 35 वर्षों से यह व्रत रखते आ रहे हैं. मोदी के मुताबिक वो आत्मा-शुद्धिकरण के लिए यह व्रत रखते हैं. उनके मुताबिक इस व्रत से उन्हें शक्ति मिलती है और साथ ही वह हर रात को मां दुर्गा से संवाद करने में भी समर्थ हो पाते हैं.

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