UP: देवबंद में पासपोर्ट्स की होगी जांच, ATS ने दी संदिग्ध गतिविधियों की इन्फॉर्मेशन

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के देवबंद क्षेत्र में दो से तीन दिन के अंदर सभी लोगों के पासपोर्ट्स दोबारा जांचे जाएंगे। यहां संदिग्ध आतंकी गतिविधियों की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने यह फैसला किया है। डीआईजी एस इमैनुअल का कहना है कि जांच एटीएस से मिले इनपुट के आधार पर की जा रही है, जो कि यहां रहने वाले सभी लोगों के लिए है, न कि जाति विशेष के लोगों के लिए। बता दें कि उत्तर प्रदेश एटीएस ने यहां के चारबाग रेलवे स्टेशन से हाल ही में 2 बांग्लादेशी संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। उनके पास देवबंद के पते का पासपोर्ट मिला था।

UP: देवबंद में पासपोर्ट्स की होगी जांच, ATS ने दी संदिग्ध गतिविधियों की इन्फॉर्मेशन

कई बांग्लादेशी संदिग्ध हो चुके गिरफ्तार

– अगस्त में मुजफ्फरनगर से एक बांग्लादेशी संदिग्ध आतंकी पकड़ा गया था। उसका पासपोर्ट सहारनपुर के पते पर बना था।

– अगस्त में ही यूपी एटीएस ने बांग्लादेशी अब्दुल्ला अल मामून को मुजफ्फरनगर से पकड़ा था। वह आतंकवादी संगठन अंसारुल्ला बांग्ला टीम का मेंबर था। वो देवबंद में पिछले कई सालों से रह रहा था।

– 5 अक्टूबर को यूपी एटीएस ने एक भगौड़े आंतकी फैजान अहमद के लिए देवबंद में एक एलान कराया था। उस पर युवाओं को आंतकवादी संगठनों से जोड़ने का आरोप है। उसके घर पर मारे गए छापे में ISIS से जुड़ी बुक्स मिली थीं।

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याेगी का ऑर्डर- अवैध बांग्लादेशियों पर हो सख्त कार्रवाई

– 11 अक्टूबर को सीएम योगी ने पुलिस अफसरों के साथ लॉ एंड ऑर्डर को लेकर एक मीटिंग की थी। इसमें अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था।

– इसके बाद से प्रिंसिपल सेक्रेटरी अरविंद कुमार की तरफ से सभी जिले के कलेक्टर्स को लेटर भेजा गया था। इसमें कहा गया, “उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए, जिन्होंने अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों को देश का आईडेंटिटी कार्ड बनवाने में उनकी मदद की।”

– इसके अलावा पुलिस को अवैध तरीके से रह रहे लोगों के फिंगरप्रिंट लेकर फिंगरप्रिंट ब्यूरो में उनकी जांच कराने को कहा गया है।

खुद को असमी बताकर रह रहे बांग्लादेशी

– सूत्रों के मुताबिक, यूपी के कई जिलों की झुग्गी बस्तियों में बड़ी तादाद में बांग्लादेशी रह रहे हैं। ये खुद को असमी बताते हैं।

– लखनऊ में संदिग्ध बांग्लादेशियों की तादाद करीब 50 हजार है। इलाहाबाद में 35 हजार, वाराणसी में 15 हजार और कानपुर में यह संख्या 45 हजार के करीब बताई जा रही है।

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