दिल्ली: विवाह समारोह बने चुनाव प्रचार का नया मंच
आप, कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार इन आयोजनों का भरपूर लाभ उठाकर मतदाताओं से सीधा संपर्क साध रहे हैं। इन कार्यक्रमों में पहुंचने से न केवल उम्मीदवारों को प्रचार का नया अवसर मिलता है, बल्कि धन और समय की बचत भी हो रही है।
चुनाव प्रचार के बीच विवाह समारोहों का शुभ मुहूर्त उम्मीदवारों के लिए बड़े वरदान के रूप में सामने आया है। आप, कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार इन आयोजनों का भरपूर लाभ उठाकर मतदाताओं से सीधा संपर्क साध रहे हैं। इन कार्यक्रमों में पहुंचने से न केवल उम्मीदवारों को प्रचार का नया अवसर मिलता है, बल्कि धन और समय की बचत भी हो रही है।
17 जनवरी को नामांकन प्रक्रिया समाप्त होते ही तीनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार जोरशोर से प्रचार में सक्रिय हो गए हैं। साथ ही, विवाह समारोह प्रचार अभियान का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। एक समारोह में उम्मीदवार औसत 150-200 मतदाताओं से आसानी से संपर्क स्थापित कर लेते हैं। इस दौरान वे व्यक्तिगत रूप से क्षेत्र के मतदाताओं को पक्ष में करने की कोशिश करते हैं। चार फरवरी तक विवाह समारोह उम्मीदवारों के लिए एक बड़ा प्रचार मंच साबित हो सकते हैं। दरअसल, उन्हें मतदाताओं तक पहुंचने के लिए न तो राशि खर्च करनी पड़ रही है और न ही मतदाता एकत्रित करने के लिए ताकत लगानी पड़ रही है।
200 मतदाताओं से एक साथ संपर्क
दो उम्मीदवारों ने बताया कि आजकल आम लोगों के बीच नेताओं को समारोह में बुलाने का जबरदस्त प्रचलन है। इस तरह सभी नेताओं के यहां विवाह के दो-तीन दर्जन न्योते आना आम बात हो चुकी है। कुछ नेता तो चुनाव के दौरान अपने कार्यकर्ताओं से कहकर न्योते दिलवाते हैं, क्योंकि विवाह में वे कुछ ही पल में 150-200 मतदाताओं से संपर्क साध लेते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग ने भी इन गतिविधियों पर अपनी नजरें तेज कर दी हैं।
जांच के लिए चुनाव आयोग भी सक्रिय
आयोग के अनुसार, उनके अधिकारी इन विवाह समारोहों में उम्मीदवारों की मौजूदगी और उनके व्यवहार की जांच कर रहे हैं। खासतौर पर इस बात पर नजर रखी जा रही है कि उम्मीदवार कहीं गिफ्ट या शगुन के जरिये मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश तो नहीं कर रहे। चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास शुरू कर दिया है कि चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो।