दिल्ली : जामिया में दिवाली मनाने से रोकने के मामले ने फिर तूल पकड़ा

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दिवाली मनाने से रोकने के मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। दिल्ली पुलिस ने 22 अक्तूबर को दिवाली मनाने से रोकने, दीयों को तोड़ने, रंगोली बिगाड़ने, हुडदंग मचाने और एक वर्ग के छात्रों को विश्वविद्यालय में दिवाली नहीं मनाने देने के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। एफआईआर में छात्रों, छात्र नेता, भीम आर्मी के नेताओं और यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों को नामजद कराया गया है। दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय व अन्य जगहों से सीसीटीवी फुटेज लेकर आरोपियों की पहचान और उनकी धरपकड़ तेज कर दी है। इधर, मामले को लेकर जामिया मिलिया प्रशासन की ओर से दी गई शिकायत को दिल्ली पुलिस ने खारिज कर दिया है। कहा कि प्रशासन की शिकायत पर कोई प्राथमिकी नहीं बनती।

दिल्ली पुलिस के पुलिस मुख्यालय में बैठने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया एलुमनाई एसोसिएशन ऑफ माइनॉरिटीज की ओर से दी 25 अक्तूबर को दी गई शिकायत में कहा गया है कि 22 अक्तूबर की शाम को जामिया परिसर में शांति और सद्भाव के त्योहार दिवाली के उत्सव के दौरान एक बेहद परेशान करने वाली घटना हुई। उत्सव के हिस्से के रूप में छात्रों और कर्मचारियों ने त्योहार पर प्रार्थना, रंगोली और दीये जलाने की व्यवस्था की थी। शांतिपूर्ण चल रहे उत्सव के दौरान भीम आर्मी से जुड़े दिल्ली बीएएसएफ अध्यक्ष जुबैर चौधरी, छात्र नौमान चौधरी , बीए पासआउट मुबस्सिर मेवाती, सलमान मेवाती समेत अन्य ने उपद्रव के इरादे से त्योहार के जश्न में बाधा डाली।

इन लोगों ने रंगोली के डिजाइनों को तोड़ दिया और जलते हुए दीयों को नष्ट कर दिया। ऐसे में ऐसे लोगों के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में कार्रवाई की जाए। हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच के बाद ये बात सामने आई है कि कुछ ऐसे लोगों के नाम भी लिखवाए गए हैं, जो मौके पर नहीं थे।

जांच के बाद एफआईआर दर्ज करने के आदेश-
दीपोत्सव मनाने से रोकने पर जांच के बाद एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। जिले की पीजी सेल के एसीपी ने मामले की जांच की थी। कई दिनों तक जांच की गई। प्राथमिकी के लिए तथ्य पाए जाने पर एफआईआर जांच के आदेश दिए गए हैं।

जामिया मिल्लिया में भेदभाव का आरोप-
काल ऑफ जस्टिस ट्रस्ट ने अपनी फैक्ट फाइडिंग रिपोर्ट में कहा गया है कि जामिया में गैर मुसलमानों के साथ भेदभाव और इस्लाम में मतांतरण के दवाब के गंभीर आरोप हैं। 65 पेज की रिपोर्ट जारी करने वाली फैक्ट फाइंडिंग टीम का नेतृत्व दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायधीश एसएन धींगरा कर रहे थे। छह सदस्यीय टीम में दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव शामिल थे। रिपोर्ट में 27 लोगों की गवाह है। इनमें सात प्रोफेसर व फैकल्टी सदस्य, नौ कर्मचारी व 10 छात्र व पूर्व छात्र शामिल हैं।

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