दिल्ली: एमसीडी में स्थायी समिति के चुनाव की तैयारी शुरू
नगर निगम में वार्ड समितियों के चुनाव के बाद अब स्थायी समिति के चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। स्थायी समिति के एक रिक्त सदस्य पद पर चुनाव की प्रक्रिया इसी हफ्ते शुरू होगी। वहीं, मेयर की ओर से चुनाव की स्वीकृति नहीं दिए जाने की स्थिति में एमसीडी उपराज्यपाल से संपर्क करने की तैयारी कर रही है।
डीएमसी एक्ट के अनुसार, स्थायी समिति के रिक्त पद पर एक माह के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है। भाजपा नेता कमलजीत सहरावत ने सांसद बनने के बाद जून में पार्षद पद से त्यागपत्र दे दिया था। वह स्थायी समिति की सदस्य भी थीं। उनका त्यागपत्र स्वीकार होने के बाद निगम सचिवालय ने मेयर को इस पद पर चुनाव कराने के लिए पत्र भेजा था।
हालांकि, मनोनीत पार्षद नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा के कारण चुनाव नहीं कराया गया। उधर, वार्ड समिति का चुनाव होने के बाद स्थायी समिति के गठन की प्रक्रिया को लेकर उपराज्यपाल सचिवालय और एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारियों ने रिपोर्ट लेनी शुरू कर दी है। इस कारण निगम सचिव कार्यालय ने बृहस्पतिवार को स्थायी समिति के रिक्त पद पर चुनाव कराने और सदन की बैठक बुलाने की तैयारी शुरू कर दी है। फाइल तैयार कर ली गई है जिसे शुक्रवार या सोमवार को मेयर के पास भेजा जाएगा।
बताया जा रहा है कि मेयर ने स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव की स्वीकृति नहीं दी तो एमसीडी अधिकारी उपराज्यपाल से संपर्क करेंगे और उनसे हाल में केंद्र सरकार से मिले अधिकारों के तहत चुनाव कराने के निर्देश देने का अनुरोध करेंगे। स्थायी समिति के 17 सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं और एक सदस्य के रिक्त पद पर चुनाव कराना आवश्यक हो गया है। डीएमसी एक्ट के तहत, समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य का पद एक माह से अधिक समय तक रिक्त नहीं रखा जा सकता।
महत्वपूर्ण अंग है स्थायी समिति
स्थायी समिति एमसीडी का महत्वपूर्ण अंग है। इसके पास सभी वित्तीय अधिकार होते है। यह विभिन्न कार्यों और नीतियों की निगरानी करने के साथ-साथ उनमें सुधार लाती है। यह समिति विकास योजनाओं और समस्याओं के समाधान में सहायक कार्यों की समीक्षा करती है और आवश्यक सिफारिशें करती हैं। स्थायी समिति का सदस्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि वह एमसीडी की नीतियों और कार्यों पर नजर रखता है और उनकी प्रभावशीलता पर विचार करता है। समिति के गठन से प्रशासनिक सुधार ही नहीं होंगे, बल्कि नागरिकों की समस्याओं के समाधान में भी तेजी आएगी।