दिल्ली: नाले की सफाई न होने पर एनजीटी ने अपनाया सख्त रुख

राजधानी के राजेंद्र नगर एक्सटेंशन इलाके में खुले नाले में डूबकर 13 साल के एक लड़के की मौत हो गई। कूड़े और गंदगी से भरे इस नाले की शिकायत कई बार स्थानीय अधिकारियों को दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मामले में तल्ख तेवर दिखाए है। 

अदालत ने इस मामले में एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नाबालिग को बचाने के लिए कई राहगीरों ने उसे बचाने की कोशिश की। लेकिन, नाले में कीचड़ की मोटी परत के चलते बच्चे तक पहुंचना असंभव था। रिपोर्ट का दावा है कि नाले की महीनों से सफाई नहीं की गई थी।

मामले की गंभीरता को समझते हुए और आगे इस प्रकार की घटना को रोकने के लिए अधिकरण ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और पश्चिमी दिल्ली के जिलाधिकारी को नोटिस जारी का जवाब मांगा है।

हरित निकाय ने उक्त प्रतिवादियों को अगली सुनवाई की तारीख 13 जनवरी 2025 से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा। वहीं, अदालत ने यह भी निर्देश दिए कि यदि कोई प्रतिवादी अपने वकील के माध्यम से जवाब दाखिल किए बिना सीधे जवाब दाखिल करता है, तो वह ट्रिब्यूनल की सहायता के लिए वर्चुअल मौजूद रहेगा। 

 अदालत ने माना कि यह मामला ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के उल्लंघन से जुड़ा है। साथ ही, रिपोर्ट में पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन और अनुसूचित अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया।

इंसान और जानवर की हो चुकी है मौत

सुनवाई के दौरान एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने रिपोर्ट में पाया कि नाले के किनारे जमीन पर गाद और कीचड़ की परतें जमी हुई है, जो समय के साथ सूख गई। यही नहीं, कई जगहों पर गाद के ऊपर कूड़ा फेंका गया है।

रिपोर्ट में आरोप है कि स्थानीय अधिकारियों से बार-बार शिकायत करने के बावजूद नाले को ढकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। साथ ही, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यह पहली ऐसी घटना नहीं है। पहले भी नाले में इंसान और जानवर दोनों गिरकर मौत के मुंह में समा गए, लेकिन ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अधिकारियों ने कोई काम नहीं किया।

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