दिल्ली : जल बोर्ड में फर्जी प्रमाण पत्रों से करोड़ों का घपला, एसीबी की जांच में खुलासा

दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के पूर्व सलाहकार रहे अंकित श्रीवास्तव ने करोड़ों रुपये का घोटाला किया है। इसका खुलासा एसीबी की जांच में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के विस्तार और नवीनीकरण की टेंडर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा कर आरोपी ने अपने रिश्तेदार और दोस्त की कंपनियों को फायदा पहुंचाया।

इस मामले की जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने अब तक 25 से अधिक सरकारी अधिकारी, ठेका लेने वाली कंपनियों के कर्मचारियों से पूछताछ की है। शाखा के अधिकारियों का कहना है कि डीजेबी के तत्कालीन सलाहकार श्रीवास्तव ने अपने ससुर और दोस्त की कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में बदलाव कराया। वह दोस्त की कंपनी को टेंडर दिलाते रहे और करोड़ों का घोटाला करते रहे। एसीबी पता लगाने में जुटी है कि कुल कितने रुपयों का घोटाला किया गया है।

15 मई को दर्ज की गई थी एफआईआर…
इस मामले में बीते 15 मई को सतर्कता निदेशालय की शिकायत पर एसीबी ने अंकित श्रीवास्तव के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, धोखाधड़ी व आपराधिक साजिश रचने समेत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था। मामले की गहन जांच के लिए एसआईटी भी गठित की गई। जांच के दौरान पता चला कि कई मामलों में बिना काम किए करोड़ों रुपये के चालान प्रस्तुत किए गए और बिना काम के ही भुगतान दिया गया। जांच में यह भी पता चला था कि अंकित के ससुर के स्वामित्व वाली कंपनी मेसर्स एडी हाइड्रो न्यूमेक इंजीनियर्स द्वारा वाटर बाडी वाली साइट पर कोई मशीनरी नहीं लगाई गई। कंपनी ने इसके लिए नकली चालान तैयार किए गए। इसकी वजह से सरकारी खजाने को 2.16 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

सिंचाई इंजीनियर से बनवाया फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र…
आरोप है कि दोस्त की कंपनी को टेंडर दिलाने के लिए आरोपी ने सिंचाई विभाग के एक इंजीनियर को पत्र लिखकर दोस्त की कंपनी ग्रीनवेज को दिल्ली में काम करने के अनुभव होने संबंधी फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने को कहा। इसके बाद इंजीनियर ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनवा दिया था। आरोप है कि अंकित ने टेंडर प्रक्रिया में यह शर्त रख दी कि जिस कंपनी के पास दिल्ली में काम करने का पुराना अनुभव है, उसी को ही जल बोर्ड में टेंडर दिया जाएगा। इसके आधार पर अंकित अपने दोस्त की कंपनी को कई टेंडर दिलाते रहे।

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