दिल्ली: एसएफजे पर प्रतिबंध बढ़ाने की हाईकोर्ट ट्रिब्यूनल ने की पुष्टि
एसएफजे का गठन अमेरिका में रह रहे गुरपतवंत सिंह पन्नू ने किया था। ट्रिब्यूनल ने प्रतिबंध बढ़ाने की पुष्टि करते हुए गुट की कई विध्वंसकारी गतिविधियों का जिक्र किया।
दिल्ली हाईकोर्ट ट्रिब्यूनल ने खालिस्तान समर्थक अलगाववादी गुट सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) पर लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध की पुष्टि कर दी है। एसएफजे का गठन अमेरिका में रह रहे गुरपतवंत सिंह पन्नू ने किया था। ट्रिब्यूनल ने प्रतिबंध बढ़ाने की पुष्टि करते हुए गुट की कई विध्वंसकारी गतिविधियों का जिक्र किया। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को धमकी देना भी शामिल है।
गृह मंत्रालय ने पिछले साल 10 जुलाई को एसएफजे पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध को भारत विरोधी गतिविधियों को देखते हुए बढ़ा दिया था। जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता की अध्यक्षता में दिल्ली हाईकोर्ट ट्रिब्यूनल का गठन 2 अगस्त को किया गया था। ट्रिब्यूनल का गठन यह फैसला लेने के लिए किया गया था कि एसएफजे को गैरकानूनी संगठन घोषित करने की अवधि बढ़ाने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं। ट्रिब्यूनल ने 3 जनवरी को एक आदेश जारी कर एसएफजे पर प्रतिबंध को 10 जुलाई से पांच साल के लिए बढ़ा दिया।
एसएफजे की गतिविधियों से देश की शांति, क्षेत्रीय अखंडता को खतरा : सरकार ने ट्रिब्यूनल के समक्ष कहा था कि भारत की आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक गतिविधियों में एसएफजे की संलिप्तता से देश की शांति, एकता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को नुकसान पहुंच सकता है। प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियां देश के अन्य अलगाववादियों, आतंकवादियों और कट्टरपंथी तत्वों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई हैं। एसएफजे भारत के भूभाग से तथाकथित ‘खालिस्तान’ बनाने के लिए पंजाब में अलगाव की विचारधारा, आतंकवाद और हिंसक रूपों का समर्थन करना जारी रखे हुए है।
सिख सैनिकों को भड़काने की कोशिश कर रहा
सरकार ने ट्रिब्यूनल को यह भी बताया कि एसएफजे प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) प्रमुख जैसे संवैधानिक पदाधिकारियों को भी धमकियां दे रहा है। इतना ही नहीं, एसएफजे का सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू ने विदेशों में भारतीय भारतीय मिशनों और राजनयिकों को निशाना बनाया। साथ ही वह सोशल मीडिया के जरिये भारतीय सेना के सिख सैनिकों को विद्रोह के लिए भड़काने की कोशिश कर रहा है।
आईएसआई से निर्देश और समर्थन
ट्रिब्यूनल को हलफनामे में बताया गया कि एसएफजे ने तीर्थयात्रा के लिए पाकिस्तान जाने वाले भारतीय सिख जत्थों को अपनी वेबसाइट पर आने उकसाने का प्रयास किया। एसएफजे पैसे के बदले में खालिस्तान समर्थक प्रचार करने और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वंचित सिख युवकों की भर्ती भी कर रहा था।
ऐसे तत्वों को पाकिस्तान के आईएसआई संचालकों से निर्देश और समर्थन मिलता पाया गया। साथ ही बताया कि साक्ष्यों से पता चलता है कि एसएफजे दिल्ली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन को निशाना बनाने वाली गतिविधियों में शामिल था। इसमें भाग लेने वाले देशों के विदेश मंत्रियों को एक खुला पत्र जारी कर खालिस्तान जनमत संग्रह’ के लिए उनका समर्थन मांगा। पन्नू ने एक ऑडियो संदेश जारी कर कश्मीरी मुसलमानों को कश्मीर घाटी छोड़कर दिल्ली आने और जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दिल्ली को अवरुद्ध करने के लिए उकसाया।
पन्नू ने भारत के खिलाफ ऑनलाइन अभियान चलाया
ट्रिब्यूनल के सामने यह भी कहा गया कि खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि एसएफजे और पन्नू ऑनलाइन अभियान ‘रेफरेंडम 2020’ के जरिये भारत के खिलाफ एक सुनियोजित एजेंडे में भी शामिल थे। इसका उद्देश्य एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई ‘खालिस्तान’ का निर्माण करना है। एसएफजे ने अपने ‘रेफरेंडम 2020’ के लिए जिनेवा में एक सम्मेलन किया था।
इसमें उसने एक वेब पोर्टल के शुभारंभ के साथ भारत को छोड़कर सभी देशों में सिखों के लिए मतदाता पंजीकरण शुरू करने की घोषणा की थी। पंजाब में पंजीकरण के लिए लगभग 25 वेबसाइटें शुरू की गईं और एसएफजे ने पंजाब में घर-घर जाकर पंजीकरण करने और इस पंजीकरण के लिए 7,500 रुपये का मासिक भत्ता देने की घोषणा की।