दिल्ली: बेटी से दुष्कर्म के दोषी पिता को उम्रकैद

तीस हजारी कोर्ट ने सौतेली बेटी से बार-बार दुष्कर्म करने और गर्भवती करने के दोषी पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि दोषी की निरक्षरता को सजा कम करने वाला कारक नहीं माना जा सकता।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया सौतेले पिता के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थीं, जिसे पिछले महीने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के दंडात्मक प्रावधान का दोषी ठहराया गया था। विशेष लोक अभियोजक श्रवण कुमार बिश्नोई ने सख्त सजा की मांग करते हुए कहा कि समाज को एक स्पष्ट और मजबूत संदेश दिया जाना चाहिए कि इस तरह के जघन्य कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की दोषी के निरक्षर होने की दलील को खारिज करते हुए कहा कि उनका मानना है कि निरक्षरता को अपराध को कम करने वाला कारक नहीं माना जा सकता, खासकर अनाचार के मामलों में। यह न केवल कानूनी रूप से दंडनीय है, बल्कि नैतिक रूप से भी घृणित है। उन्होंने कहा कि अपराध की शैतानी प्रकृति और यह तथ्य कि पीड़िता दोषी की सौतेली बेटी थी और उसकी देखभाल और संरक्षण में थी, दोषी की व्यक्तिगत परिस्थितियों, जिसमें उसकी उम्र भी शामिल है, उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। अदालत ने कहा कि न्याय के हित में यह मांग की जाती है कि आरोपी को कड़ी सजा दी जाए। दोषी नरम रुख अपनाने के लिए पर्याप्त और सम्मोहक कारणों का अस्तित्व दिखाने में बुरी तरह विफल रहा है।

पीड़िता ने असहनीय दर्द सहा होगा : अदालत
अदालत ने मामले में अन्य कारकों को भी शामिल किया, इसमें यह तथ्य भी शामिल है कि पीड़िता एक मासूम और असहाय बच्ची थी, जो गर्भवती हो गई। उसे लगभग 16 वर्ष की आयु में गर्भपात कराना पड़ा। न्यायाधीश ने कहा कि दोषी ने अपनी लालच और स्वार्थी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक मासूम और कमजोर बच्ची के साथ अनैतिक व्यवहार किया है। उसने पीड़िता का बार-बार यौन उत्पीड़न कर उसे गर्भवती कर दिया। उनके मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि पीड़िता ने जो दर्द सहा होगा, वह असहनीय रहा होगा।

Back to top button