दिल्ली: अस्पताल और मोहल्ला क्लीनिक को लेकर टकराव
दिल्ली के अस्पताल, मोहल्ला क्लीनिक व अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं में मुफ्त जांच की सुविधा को लेकर दिल्ली सरकार और अधिकारी आमने-सामने आ गए हैं। 31 जनवरी को मुफ्त प्रयोगशाला जांच का टेंडर खत्म हो रहा है। फिलहाल इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में आशंका है कि एक फरवरी से यह सुविधा बाधित हो सकती है।
दिल्ली के अस्पताल, मोहल्ला क्लीनिक व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में रोजाना हजारों मरीज इलाज करवाने आते हैं। इनमें से अधिकतर मरीजों को खून सहित दूसरी जांच करवानी होती है। दरअसल, मुफ्त प्रयोगशाला सेवाएं प्रदान करने को लेकर अधिकारी ने कैबिनेट की मंजूरी मांगने पर मंत्री की अस्पष्ट की बात रखी। वहीं जवाब में नोट पर मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि मंत्रिपरिषद ने सेवाओं को आउटसोर्स करने के लिए पूरी तरह से मंजूरी दे दी है।
टेंडर जारी करने से पहले एक बार फिर से मंजूरी लेने की कोई जरूरत नहीं है। विभाग के तरफ से दावा किया जा रहा है कि दिल्ली राज्य स्वास्थ्य मिशन (डीएसएचएम) से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ। इसमें प्रयोगशाला सेवाओं की आउटसोर्सिंग को लेकर निविदा जारी करने के लिए मंत्री की सैद्धांतिक प्रशासनिक मंजूरी मांगी गई थी।
प्रस्ताव में कहा गया था कि मंत्रिपरिषद के समक्ष रखे जाने से पहले मंत्री की मंजूरी के लिए एक कैबिनेट नोट अलग से पेश किया जाएगा। मंत्री ने निविदा जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी तो दे दी, लेकिन दावा किया जा रहा है कि कैबिनेट नोट पेश करने के मुद्दे पर मंत्री अस्पष्ट रहे।
नोट में स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार ने दावा किया कि कैबिनेट के लिए प्रस्ताव समय से पहले ही प्रस्तुत कर दिया गया था, लेकिन मंत्री ने अपनी मंजूरी नहीं दी, जिसके कारण दो महीने की देरी हुई। कैबिनेट की मंजूरी के बिना, प्रयोगशाला सेवाओं को आउटसोर्स नहीं किया जा सकता है। वहीं मंत्री ने नोट में कहा कि 2022 की कैबिनेट मंजूरी प्रयोगशाला सेवाओं को आउटसोर्स करने के लिए एक पूर्ण मंजूरी थी।
आरोप लगाया कि अधिकारी इस मुद्दे पर गुमराह कर रहे हैं। मंत्री ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य सचिव ऐसी स्थिति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें 450 से अधिक मोहल्ला क्लीनिकों में प्रयोगशाला सेवाएं बाधित हो और मरीजों को परेशानी हो। ऐसे में मंत्री ने नोट में लिखा कि यह निर्देश दिया जाता है कि चल रहे आउटसोर्स प्रयोगशाला सेवा अनुबंध को तीन महीने या नए विक्रेताओं के आने तक जो भी पहले हो तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।
दवाओं की कमी पर स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र
दिल्ली के अस्पताल, मोहल्ला क्लीनिक और डिस्पेंसरियों में दवाओं की कमी को लेकर इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा है। एसोसिएशन के प्रधान सचिव भूपेंद्र कुमार ने पत्र में दवाओं की कमी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। उन्होंने मंत्री से तुरंत इस पर विचार करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि फार्मासिस्ट को उनकी क्षमता के अनुसार जिम्मेदारी नहीं दी जाती। फार्मासिस्टों को स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रक्रिया में प्रमुख जिम्मेदारी देकर दवाओं की कमी को कम किया जा सकता है।