दिल्ली: जू में ठंड से अफ्रीकन बबून ने दम तोड़ा, विसरा जांच के लिए भेजा

वन्यजीव प्रेमियों के लिए दुखद सूचना है। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में एक मादा अफ्रीकन बबून की मंगलवार को मौत हो गई है। प्राथमिक जांच में मौत की वजह ठंड बताई जा रही है। हालांकि, विसरा जांच के लिए सैंपल बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में भेजा गया है। इसके बाद ही मौत की वजह का खुलासा हो पाएगा। ऐसे में एक बार फिर वन्यजीवों को लेकर चिड़ियघर प्रबंधन की लापरवाही का मामला सामने आया है। अब चिड़ियाघर में केवल तीन अफ्रीकन बबून है। इसमें एक मादा और दो नर हैं। इनमें एक नर बबून बूढ़ा है।

साल में यह तीसरे वन्यजीव की मृत्यु है। ऐसे में वन्यजीवों की मौत के मामले में चिड़ियाघर प्रबंधन सवालों के घेरे में आ गया है। बबून की मौत के बाद पूरे चिड़ियाघर से लेकर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) में हड़कंप मच गया है। चिड़ियाघर प्रबंधन के सूत्रों के मुताबिक अब तक वन्यजीवों की सर्दी की खुराक और ठंड से बचने के लिए व्यवस्था पूरी तरह से शुरु नहीं हुई है। ऐसे में वन्यजीव ठंड लगने के बीमार पड़ रहे हैं। जबकि यह अक्तूबर माह में पूरी हो जाती है। वन्यजीवों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। इसे लेकर वन्यजीव प्रेमियों में रोष है।

7 माह में आठ वन्यजीव मरे
वन्यजीवों के प्रति बढ़ती लापरवाही का खामियाजा ये है कि सात महीने में ही यहां आठ वन्यजीव की मौत हो गई है। दो जनवरी को असम से लाए गए नर गैंडे की मृत्यु हो गई थी। जबकि इससे एक दिन पहले एक जनवरी को सफेद बाघ के शावक की मौत हो गई थी। दिसंबर में दुर्लभ प्रजाति के चिंकारा की मौत हुई थी। अक्तूबर में यहां बीमारी से सफेद मोरनी की मौत हो गई थी। सितंबर में दो मादा भेड़ियों के बीच हुई लड़ाई में एक की मौत हो गई थी। साथ ही, ईमू पक्षी की भी मौत हुई थी। वहीं, जून माह में दो नर चिंकारा हिरणों की आपस में लड़ाई होने से एक हिरण की गंभीर चोट और आंत फटने से मौत हो गई थी।

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