आगरा के विकास भवन में चल रही थी दारू पार्टी, डीडीओ ने मारा छापा…
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आगरा के विकास भवन में जिला युवा कल्याण अधिकारी दफ्तर में हो शराब पार्टी रही थी। जिला विकास अधिकारी ने छापा मारा तो पीआरडी जवानों संग बाबू पैग लगाते हुए रंगे हाथ पकड़े गए।
जिस विभाग पर युवाओं के कल्याण की जिम्मेदारी है। उस जिला युवा कल्याण अधिकारी के दफ्तर में शाम 6:30 बजे शराब पार्टी हो रही थी। प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के दो जवान, बाबू के साथ जाम झलका रहे थे। शिकायत पर जिला विकास अधिकारी राकेश रंजन ने छापा मारा और तीनों को रंगेहाथ पकड़ लिया।
संजय प्लेस स्थित विकास भवन में मुख्य विकास अधिकारी प्रतिभा सिंह के साथ 20 से अधिक जिला स्तरीय अधिकारियों के दफ्तर हैं। तीसरी मंजिल पर जिला युवा कल्याण अधिकारी प्रेम शंकर गौतम का दफ्तर है। 11 फरवरी की शाम 6:30 बजे जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) राकेश रंजन को शिकायत मिली कि जिला युवा कल्याण अधिकारी के दफ्तर का दरवाजा बंद कर अंदर शराब पार्टी चल रही है। उन्होंने औचक निरीक्षण किया। पीआरडी जवान और बाबू आलोक माहेश्वरी ने दरवाजा नहीं खोला। डीडीओ ने डांट-फटकार के बाद दरवाजा खुलवाया, तो देखा कि अंदर शराब की बोतल पड़ी हुई है। इस कृत्य की सूचना डीडीओ ने जिला युवा कल्याण अधिकारी प्रेम शंकर गौतम को फोन से दी।
सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए। इस पत्र को गोपनीय रखा गया था। मंगलवार को यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कर्मचारियों के विरुद्ध डीडीओ ने पत्र भेजकर जिला युवा कल्याण अधिकारी को कार्रवाई के निर्देश दिए है। आठ दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। आरोप है कि जिला युवा कल्याण अधिकारी प्रेम शंकर गौतम ने पूरे मामले में लीपापोती का प्रयास किया। उनका कहना है कि वह 6 से 20 फरवरी तक अवकाश पर थे। परिवार में शादी थी। फोन पर सूचना मिली थी। डीडीओ राकेश रंजन का कहना है कि इस मामले से उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।
नहीं कराया मेडिकल
डीडीओ राकेश रंजन पर भी इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप लग रहे हैं। उन्होंने शराब पी रहे तीनों कर्मियों का तत्काल मेडिकल नहीं कराया। मेडिकल से शराब सेवन की पुष्टि होती। ऐसे में बिना मेडिकल के पुष्टि नहीं होने पर आरोपियों को कानूनी लाभ मिल सकता है।
7 बजे के बाद जमे रहते है कर्मचारी
सरकारी दफ्तरों में 5 बजे काम खत्म हो जाता है। नगर निगम, विकास भवन, तहसीलों व अन्य सरकारी दफ्तरों में शाम 7 बजे तक कर्मचारी जमे रहते हैं। रात में क्या हो रहा है कि यह देखने कोई अधिकारी नहीं जाता है। पूर्व में भी कई सरकारी दफ्तरों में शाम ढलने के बाद जाम छलकने की शिकायतें मिल चुकी हैं।