खतरनाक अर्चिन की स्टडी कर रहे थे साइंटिस्ट, झींगा मछली ने तो नहीं खाया
क्लाइमेंट चेंज से दुनिया काफी बदल रही है. साइंटिस्ट इस बदलाव और उसके प्रभाव को समझने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलियाई साइंटिस्ट को तब हैरानी हुई जब वे समुद्री अर्चिन का अध्ययन कर रहे थे. ये जीव समुद्री जीवन के हालात को नष्ट कर देते हैं और पर्यावरण के लिए खतरा माने जाते हैं. इन्हें नष्ट करना आसान नहीं होता क्योंकि अभी तक माना जाता था कि इनके छोटे प्रकार को केवल झींगा मछली ही खाती है. लेकिन अपनी रिसर्च के दौरान नए वीडियो में वैज्ञानिकों ने देखा कि में उन्होंने बड़े अर्चिन खा कर शार्क उन्हें खत्म करने में मददगार हो सकती हैं.
अर्चिन की गंभीर समस्या
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पूर्वी ऑस्ट्रेलियाई धारा तेज हो रही है. यह उष्णकटिबंधीय जल और उनमें रहने वाली कई प्रजातियों को और दक्षिण की ओर धकेल रही है. इससे हालात ऐसे बन रहे हैं कि समुद्री जीवन में जीव की यहां संख्या बढ़ने लगी है. इसमें समुद्री अर्चिन के विभिन्न समूह हैं, जिन्होंने दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया की शीतोष्ण चट्टानों के रसीले समुद्री घास के मैदानों को लगातार नष्ट करके विविध और मूल्यवान इकोसिस्टम को भयानक अर्चिन बंजर भूमि में बदल दिया है.
क्या पता लगाना चाहते थे साइंटिस्ट?
इसी समस्या के हल की तलाश ने वैज्ञानिकों को नए अध्ययन के लिए प्रेरित किया, जिसके नतीजों की उन्हें उम्मीद नहीं थी. अर्चिन का शिकार करने वाली कुछ प्रजातियों में से एक पूर्वी रॉक लॉबस्टर यानी समुद्री झींगा, सग्मारियासस वेरॉक्सी है. वे देशी छोटी-काँटेदार अर्चिन, हेलियोसिडारिस एरिथ्रोग्रामा खाते हैं, लेकिन यह साफ नहीं है कि वे लंबी-काँटेदार सेंट्रोस्टेफ़नस रॉजर्सि के खिलाफ लड़ाई में कितने शामिल हैं. इसलिए न्यूकैसल विश्वविद्यालय के पारिस्थितिकीविद जेरेमी डे के नेतृत्व में एक टीम यह पता लगाना चाहती थी कि ये झींगे कितने उपयोगी सहयोगी हैं.
रिसर्च के लिए चुनी गई खास जगह
ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित शहर वोलोंगोंग के तट पर उनके प्रयोग में 100 समुद्री अर्चिन (आधे छोटे-कांटे वाले, आधे लंबे) की निगरानी की गई, जिन्हें एक ज्ञात झींगे की मांद के बाहर बांधा गया था. शोधकर्ताओं ने चट्टान में 5 से 8 मीटर गहरा एक चट्टानी ओवरहैंग, जिसमें रात के समय झींगे दिन के दौरान दुबके रहते हैं को चुना गया.
खास रिकॉर्डिंग की तैयारी
उन्होंने 25 रातों तक, GoPro कैमरों के साथ होने वाले संहार को रिकॉर्ड किया गया. “‘टेदरिंग’ वह तरीका है जिससे अर्चिन को रात भर शिकार के लिए उपलब्ध रहने और हमारे कैमरों की नज़र में रहने के लिए शल्य चिकित्सा से रोका जाता है. डे कहते हैं, “हमने प्रयोगों को फिल्माने के लिए लाल-फ़िल्टर वाली रोशनी का इस्तेमाल किया क्योंकि बिना रीढ़ के जीव सफेद प्रकाश स्पेक्ट्रम को पसंद नहीं करते हैं.” फुटेज से पता चला कि झींगों को वास्तव में लंबी-कांटे वाले अर्चिन में कोई दिलचस्पी नहीं है.
कौन सा था वो शिकारी जीव?
हालांकि, एक और शिकारी है जो उन्हें कहीं ज़्यादा मजे से खा रहा है. यह जानकारी वैज्ञानिकों के लिए बहुत ही अनोखी और काफी हैरान करने वाली थी. डे कहते हैं, “झींगों को ‘मुख्य’ अर्चिन शिकारी माना जाता है जो अर्चिन की अधिक आबादी को काबू करते हैं, जबकि शार्क को आम तौर पर अर्चिन शिकारी मॉडल में नहीं माना जाता है. “महत्वपूर्ण बात यह है कि शार्क बहुत बड़े समुद्री अर्चिन को आसानी से पकड़ लेती हैं.”
बड़े अर्चिन का शिकार
क्रेस्टेड हॉर्न शार्क (हेटेरोडोंटस गैलेटस) ने कैमरे पर कैद किए गए लंबे-कांटे वाले अर्चिन के 82 प्रतिशत और कुल मिलाकर लगभग आधे शिकार किए. वे 12 सेंटीमीटर (लगभग 5 इंच) से ज़्यादा व्यास वाले परिपक्व अर्चिन को भी चबाने के लिए तैयार थे. उन्हें शिकार से काफ़ी हद तक मुक्त माना जाता था. यह तब महत्वपूर्ण होता है जब परिपक्व अर्चिन सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.
वीडियो में अब तक, बहुत बड़े अर्चिन को संभालने में सक्षम शिकारियों के दुर्लभ सबूत मिले हैं. क्रेस्टेड हॉर्नड शार्क संरक्षण प्रबंधन प्रयासों में एक स्वागत योग्य सहायक दिखाई दिए. एक पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में बड़े शिकारियों की अहमियत दिखात है.