क्रिप्टो को टैक्स के दायरे में लेन के लिए आगामी बजट की हो सकती है घोषणा

क्रिप्टोकरेंसी के लिए नियामक बनाने या उसे प्रतिबंधित करने के बारे में सरकार अब नए सिरे से विचार कर रही है। हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वित्त मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक में काफी मंथन किया गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ के हाल के दौरे के दौरान भी क्रिप्टो को लेकर सरकार ने उनसे बातचीत की। गोपीनाथ ने कहा था कि क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने की जगह इसे वैश्विक स्तर पर रेगुलेट करने की जरूरत है।

सूत्रों के अनुसार क्रिप्टो को सरकार टैक्स के दायरे में लाना चाहती है और आगामी बजट में इससे संबंधित प्रविधान की घोषणा हो सकती है। क्रिप्टो को संपदा के रूप में मान्यता देकर इसे टैक्स के दायरे में सरकार ला सकती है। भारत में 10.07 करोड़ लोग क्रिप्टो में निवेश कर चुके हैं जो दुनियाभर में सबसे अधिक है। इनकी क्रिप्टो संपदा का मूल्य 45,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। इतनी बड़ी संख्या में निवेश के बाद सरकार एकदम से क्रिप्टो को प्रतिबंधित नहीं कर सकती है।सरकार संसद के वर्तमान सत्र में ही क्रिप्टोकरेंसी नियामक व डिजिटल करेंसी बिल पेश करने वाली थी। लेकिन अब इसकी संभावना नहीं दिख रही है। इस बिल को अभी कैबिनेट की ही मंजूरी नहीं मिली है और गुरुवार को वर्तमान शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है।

बिल में सभी प्राइवेट क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव था, लेकिन कुछ क्रिप्टो को अपवाद स्वरूप मान्यता भी दिए जाने का जिक्र किया गया था।वैसे, शीतकालीन सत्र के शुरू होने से पहले तक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी कह चुकी थीं कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट किया जाएगा, इसे प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) क्रिप्टो पर पूरी तरह से रोक लगाने के पक्ष में है और इस पर अपना पक्ष रख चुका है। दूसरी तरफ, शीतकालीन सत्र शुरू होने से कुछ दिन पहले वित्त मंत्रालय के राजस्व सचिव ने कहा था कि मंत्रालय क्रिप्टो को टैक्स के दायरे में लाना चाहता है, क्योंकि जब लोग क्रिप्टो से कमाई कर रहे हैं तो उनसे टैक्स भी लिया जाना चाहिए।

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