कुछ इस तरह रो-रो कर बोलता रहा ये पिता, कैसे करूँ मैं बेटियों की…

लखनऊ. महानगर इलाके के अकबरनगर मोहल्ले में आग लगने से तीन झोपड़ियां जलकर खाक हो गई। आग कैसे लगी, इसकी अभी तक कोई वजह साफ नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि चूल्हे की चिंगारी से एक झोपडी में पहले आग लगी, बाद की दोनों झोपड़ियों में धीरे-धीरे आग लग गई। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियों ने आग पर काबू पाया।

कुछ इस तरह रो-रो कर बोलता रहा ये पिता, कैसे करूँ मैं बेटियों की...

 ई-रिक्शा चलाकर पालता हूं परिवार का पेट…

– तीनों झोपड़ियों में रहने वाला परिवार बेहद गरीब है। परिवार किसी तरह अपना गुजर बसर करते हैं।
– पीड़ित मो अशरफ ने बताया ” मैं ई-रिक्शा चला कर परिवार का भरण-पोषण करता हूँ। रिक्शा मालिक को हर दिन 400 रूपए देने के बाद केवल दो ढाई सौ रूपए ही रोज बचते हैं। उन्हीं पैसों से मैं, मेरी पत्नी और तीन बच्चे गुजारा करते हैं. आशियाने के नाम पर केवल यही झोपडी थी, जिसमें हम पांच लोग रहते थे।”
-अशरफ ने बताया, “हमने दिन रात मेहनत करके एक-एक रूपए बचा कर टीवी खरीदा था। गर्मी से बचने के लिए एक जानने वाले की दुकान से उधार पंखा लिया था। आज तक उस पंखे के पैसे नही दे पाया हूँ। अशरफ ने रोते हुए बताया कि साहब…केवल बदन पर जो कपड़े हैं,उसके अलावा अब कुछ नहीं बचा हमारे पास। खाने पीने का सामान, सारे कपडे सब जल कर ख़ाक हो गया ।

अब कैसे होगा बेटी का निकाह

-फल का ठेला लगाने वाले शकील ने कहा,”इस आग की चपेट में आने झोपड़ी जलकर खाक हो गई। शकील अपनी पांच बेटियों और पत्नी के साथ महानगर में रहता है। आशियाने का नाम पर बस एक झोपड़ी थी, उसी में गुजारा होता है। अब वो जलकर खाक हो गई है।”

-फरवरी में शकील की बड़ी बेटी अफ़साना की शादी होने वाली थी. शकील ने बताया “मै हर रोज फल बेच कर घर आता था, तब शादी के लिए पैसे बचाकर अलग इकट्ठा करता था।

शकील ने बताया, “पूरे दो साल में बेटी के निकाह के लिए धीरे धीरे कर 45 हजार रूपए इकट्ठा किये थे। सब खाक हो गया, परिवार बड़ा होने के कारण बहुत मुश्किल से एक-एक पैसा बेटी के निकाह के लिए जोड़ रहा था। कुछ कपडे भी अभी से खरीद कर रख लिया था, लेकिन सब जल कर ख़ाक हो गया. बेटियों की किताबें भी नही बची। घर में खाने के लिए एक दाना भी नहीं है। अब कैसे गुजारा होगा”

अब कैसे चलेगी गृहस्थी

– कबाड़ खरीदकर बेचने वाले मेराज की भी झोपडी जल कर खाक हो गई। मेराज अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था।

– मेराज ने बताया, “दिन भर कबाड़ खरीदकर बेचने से 3-4 सौ रूपए की इनकम होती थी। उसी में पूरा परिवार चलता था। आग ने सब कुछ तबाह कर दिया। घर की सारी गृहस्थी जल कर खाक हो गई। अब हमारे पास न ही खाने को एक दाना है, और न ही शरीर ढकने के लिए कपडे हैं।अब ये जिन्दगी कैसे चलेगी ये बड़ा संकट खड़ा हो गया है।”

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आग की वजह साफ नहीं- विकास पांडेय, एसओ

– एसओ महानगर विकास पाण्डेय ने बताया “नाले के किनारे कई परिवार झुग्गियों में रहते हैं> उन्ही में आग लग गई थी, जिनमे तीन झोपड़ियां जल कर खाक हो गई. आग की सूचना मिलते ही तत्काल फायर ब्रिगेड को बुला लिया गया था. हांलाकि आग लगने के कारणों का अभी पता नही चल पाया है.”

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