गोंडा: छपिया से निकल घनश्याम पांडे ने पूरे विश्व में स्वामीनारायण संप्रदाय को दिया विस्तार
पूरी दुनिया में स्वामीनारायण संप्रदाय की स्थापना के 200 वर्ष पूरे होने पर विविध कार्यक्रम हो रहे हैं। अमेरिका से लेकर अफ्रीका, ब्रिटेन और सऊदी अरब तक में उल्लास है। छपिया से निकलकर घनश्याम पांडे ने स्वामीनारायण संप्रदाय की ऐसी दुनिया रची कि आज पूरे विश्व में उनके अनुयायी हैं।
छपिया मंदिर के महंत देवस्वामी महाराज कहते हैं कि भगवान घनश्याम महाराज का अवतरण तीन अप्रैल 1781 को हरिप्रसाद पांडेय के घर में हुआ था। महज 11 वर्ष की अवस्था में संन्यास लेकर यात्रा पर निकले घनश्याम महाराज ने नीलकंठ वर्णी के रूप में तपस्या की। वह गुजरात पहुंचे और वहां रामानंद स्वामी से मिले। रामानंद स्वामी ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और सहजानंद स्वामी नाम दिया। स्वामीनारायण संप्रदाय की स्थापना के 200 साल पूरे होने पर गुजरात में वैश्विक स्तर पर आयोजन हो रहा है, जिसमें महंत देवस्वामी महाराज भी शामिल हुए हैं।
महंत देवस्वामी महाराज कहते हैं स्वामीनारायण मंदिर छपिया की आस्था देश व विदेश में भी है। गुजरात में सबसे पहला स्वामीनारायण मंदिर अहमदाबाद में बना था। यहां भी पूरे वर्ष गुजरात के लोग आते रहते हैं। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार भी मिला है। कार्तिक पूर्णिमा पर यहां भारी भीड़ होती है।
छपिया मंदिर के कोठारी विष्णु स्वामी ने बताया कि भगवान घनश्याम महाराज बचपन से ही असाधारण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने बचपन में ही चमत्कार दिखाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। वह जल पर चलते थे। जंगल में रहकर जंगली जानवरों को काबू में करते थे।