गोंडा: मां पाटेश्वरी राज्य विश्वविद्यालय निर्माण का मामला सुप्रीमकोर्ट पहुंचा

देवीपाटन मंडल मुख्यालय के लिए घोषित मां पाटेश्वरी राज्य विश्वविद्यालय बलरामपुर जिले में बनाने की कवायद का मामला अब देश के उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया है। गोंडा निवासी और सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता ने जनहित याचिका दाखिल कर राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती दी है। याची ने विश्वविद्यालय के लिए चिह्नित भूमि और उसके अधिग्रहण पर आने वाले भारी भरकम खर्च को अनावश्यक बताते हुए कई अन्य बिंदुओं पर सवाल उठाए हैं। अवकाश के बाद न्यायालय के खुलने पर जल्द याचिका पर सुनवाई होने की संभावना है।
सिविल लाइन निवासी अधिवक्ता शिवकुमार त्रिपाठी ने यूजीसी, मुख्य सचिव, कमिश्नर, डीएम गोंडा व बलरामपुर, सांसद गोंडा और कैसरगंज, करनैलगंज विधायक, करनैलगंज, कटराबाजार, सदर, मनकापुर, गौरा, मेहनौन व तरबगंज सहित 16 लोगों को पक्षकार बनाते हुए 10 नवंबर को सुप्रीमकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।
उन्होंने कहा कि मंडल के पिछड़ेपन को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंडल मुख्यालय पर मां पाटेश्वरी देवी के नाम पर राज्य विवि बनाने की घोषणा की थी। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए शासन के निर्देश पर उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव मनोज कुमार सिंह, उच्च शिक्षा निदेशक अमित भारद्वाज व अधिशासी अभियंता देवेंद्र मणि व अन्य ने 23 नवंबर 2021 को ग्राम डोमाकल्पी में 58.13 एकड़ सरकारी भूमि चिह्नित कर प्रस्ताव शासन को भेज दिया, लेकिन कैबिनेट की बैठक में अचानक विवि को गोंडा से बलरामपुर स्थानांतरित करने का निर्णय ले लिया गया।
छह सितंबर 2023 को उप्र शासन ने डीएम बलरामपुर को पत्र भेजकर विवि निर्माण के लिए जमीन खरीदने का आदेश दे दिया। 20 सितंबर 2023 को 50 करोड़ का बजट भी आवंटित किया गया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रशासनिक व नागरिक सुविधा की दृष्टि से सर्वथा उचित गोंडा के डोमाकल्पी में चिह्नित भूमि पूरी तरह सरकारी है और उसके अधिग्रहण पर न तो कोई खर्च आएगा और न ही कोई किसान विस्थापित होगा। जबकि बलरामपुर के कोयलरा गांव में चिन्हित भूमि निजी काश्तकारों की है और नीची है और वर्षाकाल में बाढ़ग्रस्त रहती है। इस प्रस्तावित भूमि को खरीदने में 16 करोड़ 52 लाख 83 हजार रुपये के अलावा मिट्टी पटाई में भी करोड़ों का खर्च आएगा। साथ ही तमाम छोटे किसान भी विस्थापित हो जाएंगे, जिनके परिवारों के भरण पोषण की समस्या उत्पन्न हो जाएगी।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता शिवकुमार त्रिपाठी ने बताया कि गोंडा में विश्वविद्यालय बने इसके लिए जिले के सांसद व विधायकों ने भी कोई प्रयास नहीं किया। इसलिए उन्होंने उच्चतम न्यायालय में फरियाद लगाई है। सुप्रीमकोर्ट में अभी अवकाश चल रहा है, अवकाश समाप्त होने पर सुप्रीम कोर्ट जल्द ही याचिका पर सुनवाई करेगा।