डल्लेवाल के अनशन पर पंजाब सरकार को फटकार: SC ने कहा- आदेशों का पालन करने में नाकाम
पंजाब-हरियाणा की सीमा पर खनौरी बॉर्डर पर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी व अन्य मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल अपना अनशन तोड़ने को तैयार नहीं हैं। शनिवार को उनके अनशन के 33 दिन हो गए हैं।
वहीं, जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। पंजाब सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि डल्लेवाल को अस्पताल में इलाज के लिए शिफ्ट करने की उनसे अपील की गई थी, लेकिन किसान उन्हें धरना स्थल से दूसरी जगह शिफ्ट करने का विरोध कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पंजाब सरकार डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करने और उन्हें अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए मनाने के दिए गए 20 दिसंबर के आदेशों के अनुपालन करने में नाकाम रही है। सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार के प्रयासों से संतुष्ट नहीं है। पंजाब के महाधिवक्ता, मुख्य सचिव और डीजीपी के आश्वासन पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देशों का पालन करने और उचित कदम उठाने के लिए अतिरिक्त समय भी दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पंजाब सरकार को किसी सहायता की जरूरत है तो केंद्र सरकार सभी आवश्यक सहायता मुहैया करवाएगी। अब इस मामले में अगली सुनवाई 31 दिसंबर को होगी।
आखिरी सांस तक लड़ेंगे लड़ाई
इससे पहले शुक्रवार को खनौरी बॉर्डर पर पंजाब सरकार की उच्च स्तरीय टीम और चिकित्सा विशेषज्ञों ने पहुंच कर अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल में दाखिल होकर उचित इलाज कराने की अपील की थी। लेकिन डल्लेवाल ने सरकार की इस ऑफर को ठुकराते साफ कर दिया कि वह बड़े किसान नेता बनने के लिए यह लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं। यह किसानों व आने वाली पीढ़ियों के हकों की लड़ाई है, जिसे वह अपनी आखिरी सांस तक लड़ेंगे।
डल्लेवाल की तबीयत ठीक नहीं
शुक्रवार को पटियाला रेंज के डीआइजी मनदीप सिंह सिद्धू, डीसी डॉ. प्रीति यादव, एसएसपी डॉ. नानक सिंह व अन्य की एक टीम ने डल्लेवाल से मुलाकात की। टीम में शामिल डाक्टरों ने डल्लेवाल को कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। अधिकारियों ने किसान नेता से अपना आंदोलन जारी रखने के लिए कहा, लेकिन उनसे अपने स्वास्थ्य देखभाल के लिए आवश्यक दवाएं और तरल पदार्थ लेने का आग्रह किया। उन्होंने किसान नेता को एक स्वयंसेवक के साथ राजिंदरा या फिर माता कौशल्या अस्पताल में स्थानांतरित करने का विकल्प भी दिया।