कोरोना से 100 गुना ज्यादा ताबाही मचा सकता है बर्ड फ्लू
बीते दिनों अमेरिका के टेक्सास में एक व्यक्ति के बर्ड फ्लू (Bird Flu) से संक्रमित होने के बाद से ही इसे लेकर चिंता बढ़ गई है। इसी बीच अब विशेषज्ञों ने इसे लेकर खतरे की घंटी बजा दी है। अंटार्कटिक में पेंगुइन में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद अब इंसानों के H5N1 वायरस से संक्रमित होने के बाद वैज्ञानिकों ने इस संक्रमण को लेकर चेतावनी जारी की है। हेल्थ एक्टपर्ट्स में इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक और महामारी को लेकर अलर्ट जारी किया है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
इस मामले पर बर्ड फ्लू शोधकर्ताओं, डॉक्टरों और सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों की मौजूदगी में हुए एक प्रेस क्रॉन्फ्रेंस में लोगों को एवियन फ्लू यानी बर्ड फ्लू के बारे में आगाह किया गया। इस दौरान बर्ड फ्लू शोधकर्ता डॉ. सुरेश कुचिपुड़ी ने कहा कि यह वायरस कई वर्षों या शायद दशकों से महामारी की सूची में टॉप पर है और अब हम खतरनाक रूप से इसके करीब पहुंच रहे हैं। यह वायरस संभावित रूप से एक महामारी का कारण बन सकता है।
वहीं, एक अन्य विशेषज्ञ जॉन फुल्टन का कहना है कि “यह कोविड से 100 गुना खराब हो सकता है, अगर यह म्यूटेट होकर उच्च मृत्यु दर को बनाए रखता है।
पहले भी इंसानों में पाया गया बर्ड फ्लू
सिर्फ टेक्सास में ही नहीं, अमेरिका के अन्य राज्यों में भी बर्ड फ्लू के मामले सामने आ चुके हैं। यह पर ये वायरस गायों में फैल चुका है। वहीं, बात करें इंसानों में इस वायरस के फैलने कि तो अमेरिका में मनुष्यों में एवियन फ्लू का यह दूसरा मामला है। इससे पहले पहला मामला साल 2022 में कोलोराडो में सामने आया था। यह बर्ड फ्लू का पहला मानव मामला नहीं है।
दुनियाभर में , 1 जनवरी 2003 से 26 फरवरी 2024 तक 23 देशों में बर्ड फ्लू से इंसानों के संक्रमित होने के 887 मामले सामने आए। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, इन 887 मामलों में से 462 मामले घातक थे।
पहली बार कब सामने आया बर्ड फलू?
बर्ड फ्लू वायरस, जो अब ध्यान सभी के लिए चिंता का विषय बन रहा है, पहली बार साल 1959 में पहचाना गया था। साल 2020 के बाद से, यह वायरस कई देशों में कुत्तों और बिल्लियों सहित कई जानवरों में फैल गया है।
बर्ड फ्लू के लक्षण
बात करें इसके लक्षणों की तो, बर्ड फ्लू के लक्षण किसी भी अन्य फ्लू की तरह ही होते हैं। इनमें खांसी, शरीर में दर्द और बुखार शामिल हैं। हालांकि, कुछ लोगों को इसकी वजह से गंभीर या जानलेवा निमोनिया भी हो सकता है।