पूरे विश्व में कोरोना महामारी का प्रकोप अगले 18-24 महीनों तक बने रहने की संभावना: अमेरिकी शोधकर्ता
अमेरिकी शोधकर्ताओं के ग्रुप की ओर से की गई नई स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप अगले 18-24 महीनों तक बने रहने की संभावना है. साथ ही दुनिया भर की सरकारों को आगाह किया गया है कि वो अगले दो साल तक बीमारी के समय-समय पर दोबारा सिर उठाने की स्थिति के लिए तैयार रहें.
अमेरिका के मिनेसोटा विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इन्फेक्शियस डिजीज रिसर्च एंड पॉलिसी की ओर से “Covid-19 व्यूपॉइंट” नाम से की गई स्टडी इन्फ्लुएंजा महामारी के पिछले पैटर्न पर आधारित है.
स्टडी करने वाले चार रिसर्चर्स के नाम हैं- डॉ क्रिस्टीन ए मूर (मेडिकल डायरेक्टर CIDRAP), डॉ मार्क लिप्सिच (डायरेक्टर, सेंटर फॉर कम्युनिकेबल डिजीज डायनामिक्स, हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ), जॉन एम बैरी (प्रोफेसर, तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ) और माइकल टी ओस्टरहोम (डायरेक्टर, CIDRAP) .
सन 1700 की शुरुआत के बाद दुनिया भर ने आठ इन्फ्लुएंजा महामारियों को देखा. इनमें से चार तो 1900 के बाद आईं- 1900-1919, 1957, 1968, और 2009-10 में.
शोधकर्ताओं का तर्क है कि SARS और MERS जैसी हालिया कोरोना वायरस बीमारियों की प्रकृति से मौजूदा “SARS-CoV-2 (नए कोरोना वायरस) की प्रकृति काफी अलग है.” स्टडी के मुताबिक, ये पैथोजंस (रोगजनक) इस महामारी को लेकर क्या पूर्वानुमान लगाए जाएं, इसके लिए उपयोगी मॉडल प्रदान नहीं करते हैं.
इन्फ्लुएंजा वायरस और Covid-19 वायरस के बीच अंतर होने के बावजूद, वैज्ञानिक जोर देते हैं कि दोनों महामारियों के बीच काफी कुछ समानताएं हैं. दोनों मुख्य रूप से श्वसन मार्ग से फैलती हैं. दोनों वायरस के साथ बिना लक्षण के संक्रमण फैलता है. दोनों लाखों लोगों को संक्रमित करने और दुनिया भर में तेजी से फैलने में सक्षम हैं.
दोनों “नोवेल वायरल पैथोजंस हैं जिनके लिए वैश्विक आबादी में कोई पहले से इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) नहीं है. इसी का नतीजा है कि दुनिया भर में लोगों के इसकी चपेट में आने की संदिग्धता है.”
हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछली इन्फ्लुएंजा महामारी के अनुभवों से काफी कुछ सीखा जा सकता है. स्टडी में कहा गया है, “Covid-19 और इन्फ्लुएंजा की एपिडेमियोलॉजी (महामारी विज्ञान) में अहम समानताओं और विभिन्नताओं की पहचान से Covid-19 महामारी रूट के कुछ संभावित परिदृश्यों का अनुमान लगाया जा सकता है.” पिछली महामारियों के आधार पर, शोधकर्ताओं ने नोवेल कोरोना वायरस के लिए तीन संभावित परिदृश्यों का अनुमान लगाया है. हालांकि, वे दोनों के बीच अहम अंतर की ओर भी इंगित करते हैं जो Covid-19 को बड़ा खतरा बनाता है.
नोवेल कोरोना वायरस का इंक्यूबेशन पीरियड इन्फ्लुएंजा से अधिक है. डेटा बताता है कि इसकी बिना लक्षण वाली प्रवृत्ति भी इन्फ्लुएंजा से कहीं ज्यादा है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, नोवेल कोरोना वायरस का बुनियादी रिप्रोडक्शन नंबर भी इन्फ्लुएंजा महामारी से अधिक होना अपेक्षित है.
स्टडी में नोट किया गया कि सर्दी या गर्मी जैसे मौसमों का पिछली महामारियों में कोई ज्यादा असर नहीं देखा गया. पिछली महामारियों में से 7 में शुरुआती शिखर देखा गया जो कुछ महीनों में अपने आप गायब हो गया, लेकिन उन सात में से प्रत्येक के पहले शिखर के लगभग छह महीने बाद “दूसरा पर्याप्त शिखर” था. इसके अलावा मानव श्वसन प्रणाली पर हमला करने वाले इन्फ्लुएंजा के अधिक गंभीर A-स्ट्रेन ने धीरे-धीरे मौसमी इन्फ्लुएंजा वायरस को रिप्लेस करना शुरू कर दिया.
स्टडी में कहा गया है कि ‘’2009-10 की महामारी के बाद, इन्फ्लुएंजा का A H1N1 स्ट्रेन (स्वाइन फ्लू) मौसमी तौर पर A H3N2 स्ट्रेन (पक्षियों और स्तनधारियों के साथ) के साथ-साथ फैलता रहा है.’’