केरल के कोट्टायम में के दो निजी फार्मों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की हुई पुष्टि…

 केरल के कोट्टायम जिले की उझावूर पंचायत के दो निजी फार्मों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है। जिला अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि एक किलोमीटर इलाके में 66 सुअरों को मारना शुरू कर दिया गया है। इस मामले में जिलाधिकारी पी के जयश्री ने बताया कि इन फार्मों में सूअरों को मार दिया गया और उचित प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उनके शव जला दिए गए। जिलाधिकारी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि सुअरों को मारने का काम सोमवार रात तक पूरा होने की उम्मीद है। फार्म और आसपास के इलाके सेनेटाइज किए जाएंगे।

सुअरों और उनसे संबंधित सामान पर प्रतिबंध

पशुपालन विभाग ने कहा कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं। क्षेत्र में सूअरों, उनके भोजन और उनसे संबंधित अन्य चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार अफ्रीकी स्वाइन फीवर (एएसएफ) पालतू सूअरों की अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरल बीमारी है। यह पहली बार 1921 में पूर्वी अफ्रीका के देश केन्या में पाई गई थी। उसके बाद यह दक्षिण अफ्रीका और अंगोला में पाई गई। इस बीमारी के चलते कई पालतू सूअर मारे गए और वायरस फैलने में अफ्रीका के जंगली सुअरों से संपर्क की बड़ी भूमिका थी।

सुअर पालन के लिए खतरा बनी बीमारी

मालूम हो कि अफ्रीकी स्वाइन फीवर सुअर पालन उद्योग के लिए बड़ा खतरा है। यह जंगली और पालतू सहित किसी भी उम्र के सुअर को हो सकता है। इसका कोई टीका नहीं है और इससे सुअर पालकों की आजीविका पर बुरा असर पड़ रहा है। ASF मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं है और सूअरों से मनुष्यों में नहीं फैलता है।

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