CM कैप्टन के इस फैसले से राणा गुरजीत की बढ़ीं मुश्किलें, न्यायिक जांच के दिए आदेश
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रदेश में रेत-बजरी की खदानों की नीलामी को लेकर बिजली एवं सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह पर लगे धांधली के आरोपों की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद राणा गुरजीत ने उन्हें इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे स्वीकार नहीं किया। उन्हें न्यायिक जांच पूरी होने तक पद पर बने रहने को कहा गया है।
मुख्यमंत्री ने रिटायर्ड जस्टिस जेएस नारंग की अगुवाई में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन करते हुए एक महीने में रिपोर्ट देने को कहा है। कैप्टन अमरिंदर ने राणा गुरजीत के खिलाफ जांच का फैसला मीडिया में आ रही खबरों के आधार पर लिया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि राणा गुरजीत ने अपने कर्मचारियों से ही रेत-बजरी की खड्डों की महंगी बोली लगवाई और उन्हें ठेके दिलवाए।
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खैरा ने उठाया था मामला :
सबसे पहले इस मामले को आम आदमी पार्टी ने उठाया। आप के विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने राणा गुरजीत के कुक की आयकर रिटर्न व बैंक खाते की स्टेटमेंट जारी उसके 11,700 रुपये मासिक वेतन का खुलासा किया। खैरा ने आरोप लगाया था कि इन जैसे कर्मचारियों के सहारे राणा गुरजीत ने ही सबसे महंगी खड्डों की बोलियां लगवाईं और खदानों के ठेके हासिल कर लिए। वहीं राणा गुरजीत सिंह ने इस पर कहा था कि उनकी कंपनी राणा शुगर मिल का रेत-बजरी की नीलामी से कोई संबंध नहीं है।
मैंने मुख्यमंत्री के समक्ष पेशकश की थी कि जांच होने तक उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए। लेकिन सीएम ने जांच पूरी होने तक पद पर बने रहने को कहा है। मैं पहले भी साफ कर चुका हूं कि जिन कर्मचारियों के आधार पर विपक्ष उन्हें निशाना बना रहा है, वे बहुत पहले उनके यहां से नौकरी छोड़ चुके हैं। अब उनकी आर्थिक स्थिति क्या है, इसके बारे में भी मुझे कुछ पता नहीं है।
राणा गुरजीत, बिजली एवं सिंचाई मंत्री, पंजाबकमाई तो बढ़ी, पर सवाल भी उठे
पंजाब की कैप्टन सरकार ने हाल ही में रेत-बजरी की 50 खड्डों की नीलामी करके 300 करोड़ रुपये की कमाई करने की बात कही थी। सरकार इसे लेकर इसलिए भी उत्साहित थी क्योंकि पिछले साल सूबे में अकाली-भाजपा सरकार के दौरान खड्डों की नीलामी से सरकार को केवल 40 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए थे। कैप्टन सरकार आगामी 11 जून को 56 ओर खड्डों की नीलामी की तैयारी में जुट गई थी। लेकिन पहली ही नीलामी में उठे सवालों से सरकार को झटका लगा है।
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