चमोली: स्वास्थ्य सेवा का हाल…82 किमी दूर मिलता है महिलाओं को इलाज
चमोली जनपद की महिलाओं का स्वास्थ्य पूरी तरह से राम भरोसे है। गोपेश्वर हो चाहे ज्योतिर्मठ या नंदानगर। यहां की महिलाओं को इलाज के लिए 82 किलोमीटर दूर बेस अस्पताल श्रीकोट (श्रीनगर गढ़वाल) पर निर्भर रहना पड़ता है। जिला अस्पताल में प्रसव के लिए महिलाएं आती तो हैं, लेकिन महिला रोग विशेषज्ञ न होने के कारण उन्हें ऐन मौके पर रेफर कर दिया जाता है।
अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ और बाल रोग विशेषज्ञ का पद लंबे समय से रिक्त चल रहा है। ऐसे में न तो यहां प्रसव कराना सुरक्षित है और न ही बच्चों का सही उपचार हो पाता है। जिला अस्पताल में इसी साल मार्च माह से महिला रोग विशेषज्ञ का पद खाली चल रहा है। आलम यह है कि पूरे जिले के अस्पतालों में सिर्फ उपजिला अस्पताल कर्णप्रयाग में महिला रोग विशेषज्ञ की तैनाती है।
ज्योतिर्मठ, नंदानगर, पोखरी, गैरसैंण, थराली, देवाल और नारायणबगड़ क्षेत्र के अस्पतालों में महिला रोग विशेषज्ञ हैं न अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था। ज्योतिर्मठ और पोखरी में अल्ट्रासाउंड मशीनें तो हैं लेकिन रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं है। ऐसे में इन जगहों की महिलाएं भी अल्ट्रासाउंड कराने के लिए जिला अस्पताल पर ही निर्भर रहती हैं। मरीजों की संख्या ज्यादा होने पर महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए दो-दो दिन तक का इंतजार करना पड़ता है।
गैरसैंण में माह में दो बार अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण में माह में दो दिन अल्ट्रासाउंड कराए जाते हैं। अल्ट्रासाउंड कराने के लिए जिला अस्पताल से रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अनुराग धनिक और कर्णप्रयाग से डॉ. उमा शर्मा को 15-15 दिन में गैरसैंण भेजा जाता है।
जिले के उपजिला चिकित्सालय के अलावा कहीं भी महिला रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है। जिला अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ का पद पिछले छह माह से खाली पड़ा है। कई बार इस संबंध में उच्च अधिकारियों को लिखा गया है। जल्द यहां महिला रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं। -डॉ. अनुराग धनिक, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल, गोपेश्वर