काशी-तमिल संगमम में हस्तनिर्मित उत्पाद बने आकर्षण के केन्द्र

कन्याकुमारी, थेनी, विल्लीपुरम, कलाकुरुची, तिरुपुर व कृष्णागिरी के प्रमुख हस्तशिल्प से गुलजार हुआ पवेलियन, लोगों को खूब भा रहे है प्राकृतिक फूलों का हार, केला फाइबर, कला धातु, लकड़ी के बर्तन, लेक्यूवेयर, टेराकोटा, हाथों से बने कपड़े का स्कार्फ, वुडकार्विंग व गुड़िया और खिलौना

सुरेश गांधी

वाराणसी : काशी-तमिल संगमम के पहले दिन बीएचयू के एम्फी थिएटेयर में हथकरघा और हस्तशिल्प के 10-10 स्टाल लगा दिए गए। तमिलनाडु से आए शिल्पियों ने थीम पवेलियन में अपना उत्पाद सजाना भी शुरू कर दिया। कारोबारियों के मुताबिक दोनों राज्यों के बीच बची-खुची आर्थिक तरक्की की बाधाएं दूर की जाएंगी। इसमें काशी-तमिल संगमम भी ठोस नमूना साबित होगा। इसके जरिए हजारों हस्तशिल्पियों और बुनकरों को अपने उत्पाद का प्रदर्शन और बिक्री का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है। उम्मीद है कि एक माह तक चलने वाले आयोजन में लाखों रुपये की बिक्री होगी।

सहायक निदेशक वस्त्र विभाग अबदुल्लाह ने बताया कि तमिलनाडु के कन्याकुमारी, थेनी, विल्लीपुरम, कलाकुरुची, तिरुपुर व कृष्णागिरी के प्रमुख हस्तशिल्प लाएं गए हैं। हस्तशिल्प में प्राकृतिक फूलों का हार, केला फाइबर, कला धातु, लकड़ी के बर्तन, लेक्यूवेयर, टेराकोटा, हाथों से बने कपड़े का स्कार्फ, वुडकार्विंग व गुड़िया और खिलौना शामिल हैं। हस्तकरघा की 17 समितियों के स्टाल लगाए गए हैं। स्टालों पर तमिलनाडु के समृद्ध इतिहास, संस्कृति, संगीत, परंपरा, साहित्य, धरोहरों, लोक-जीवन शैली आदि प्रदर्शित की गयी है, जो उत्सवी छटा बिखेर रही है।

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