कृषि कानूनों में कुछ बदलाव करने को सहमत हुई केंद्र सरकार, अब पीएम मोदी ने खुद संभाला मोर्चा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार कृषि कानूनों में कुछ बदलाव करने को सहमत है, लेकिन किसान कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए है। इसी बीच, सरकार के सूत्रों ने बताया कि केंद्र ने कानून लाने से पहले और लाने के बाद भी किसान संगठनों और उनके प्रतिनिधियों से लगातार बातचीत की है, ताकि इसमें जरूरत पड़ने पर सुधार किए जा सकें। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन कानूनों के बारे में जागरूकता फैलाने का काम अपने हाथों में लिया है ।
मोदी की बात करें तो वे इन सुधारों के बारे में 25 से भी अधिक बार बोल चुके हैं। यानी इस मुद्दे पर हर सप्ताह उन्होंने एक संबोधन किया है। इन सुधारों के बारे में उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी कहा था और बिहार की चुनाव रैलियों में भी, जहां जनता ने एनडीए को बहुमत दिया। प्रधानमंत्री ने आज ट्वीट जारी करके भी किसान आंदोलन पर सरकार का पक्ष प्रस्तुत किया है।
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सूत्रों का दावा है कि सुधारों के ऐलान से पहले कृषि मंत्रालय ने विभिन्न विशेषज्ञों और पूर्व अधिकारियों से चर्चा की। मंत्रालय विभिन्न राज्यों के कृषि विभागों के संपर्क में रहा। मंत्रालय ने महत्वपूर्ण किसान संगठनों से चर्चा की और उनके फीडबैक के आधार पर एक अध्यादेश में बदलाव किया। सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने राज्यों के कृषि मंत्रियों, विभिन्न किसान संगठनों, राजनीतिक दलों, आढ़तिया समूहों और उद्योग समूहों से चर्चा की तथा कृषि विज्ञान केंद्रों के वर्कशॉप में हिस्सा लिया।
केंद्र सरकार ने किसानों से भी संपर्क किया, उन्हें वेबिनार और ट्रेनिंग के जरिये इन सुधारों के बारे में जानकारी दी। जून और नवंबर 2020 के बीच कुल 1,37,054 संपर्क साधा गया। इनमें वेबिनार के जरिए 92,42,376 किसानों से संपर्क साधा गया। इनके अलावा अक्टूबर में 2.23 करोड़ एसएमएस से संदेश भेजा गया है।
केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने 14 अक्टूबर को पंजाब के 29 किसान संगठनों के साथ बैठक की। 13 नवंबर को नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश ने किसान संगठनों से चर्चा की। यह बैठक दो दिसंबर को भी हुई। तीन दिसंबर को भी कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई। पांच दिसंबर को एक बार फिर तोमर, गोयल और सोम प्रकाश की पंजाब के किसान संगठनों के साथ बैठक हुई। हालांकि किसी भी बैठक में दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन सकी।