CBI के पूर्व डायरेक्टर की बहन के घर लूट, आरोपी ने 42 दिन में बदले 5 ठिकाने

भोपाल. सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर की बहन डॉ. अंजलि सहाय के घर से 20 लाख के जेवर लूटने के बाद पमपम सहमा हुआ था। उसे डर था कि राय मधुकर सहाय के लोग पीछा कर रहे हैं। वह जब भी आस-पास तीन-चार लोगों को खड़े देखता तो वहां से भाग जाता था। फरारी के इन 42 दिनों में उसने पांच ठिकाने बदले। बुधवार सुबह पिपलानी पुलिस उसे पूर्णिया से लेकर भोपाल आई।

भोपाल पुलिस के इनपुट पर बिहार पुलिस ने पमपम को उसके घर से हिरासत में लिया था। गुरुवार दोपहर पिपलानी पुलिस ने उसे भोपाल जिला अदालत में पेश किया। पूछताछ का हवाला देकर पुलिस ने उसे दो दिन की रिमांड पर लिया है। पूछताछ में उसने पुलिस को बताया है कि उसे डर था कि राय मधुकर सहाय के लोग उसका पीछा कर रहे हैं। इसलिए वह लगातार अपने ठिकाने बदलता रहा।
दिल्ली का टिकट लेकर पहुंच गया इलाहाबाद
पुुलिस के मुताबिक, 13 जून को वारदात काे अंजाम के बाद डॉ. सहाय का स्कूटर लेकर पमपम भोपाल रेलवे स्टेशन पहुंचा। उसने दिल्ली के लिए ट्रेन का टिकट लिया, लेकिन इलाहाबाद पहुंच गया। यहां पुलिस ने उसके ठिकाने पर दबिश दे दी, जिसके बाद जेवर से भरा बैग वहीं छोड़कर वह नंगे पैर ही भाग निकला। इसके बाद वह लखनऊ पहुंचा, फिर मुजफ्फरपुर। इन दोनों जगहों पर तीन-चार दिन रुकने के बाद वह दानापुर गया। इसके बाद पूर्णिया में दोस्तों के घर रुका। बीते रविवार को अपने गांव गया था। जहां से केनगर पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
पुुलिस के मुताबिक, 13 जून को वारदात काे अंजाम के बाद डॉ. सहाय का स्कूटर लेकर पमपम भोपाल रेलवे स्टेशन पहुंचा। उसने दिल्ली के लिए ट्रेन का टिकट लिया, लेकिन इलाहाबाद पहुंच गया। यहां पुलिस ने उसके ठिकाने पर दबिश दे दी, जिसके बाद जेवर से भरा बैग वहीं छोड़कर वह नंगे पैर ही भाग निकला। इसके बाद वह लखनऊ पहुंचा, फिर मुजफ्फरपुर। इन दोनों जगहों पर तीन-चार दिन रुकने के बाद वह दानापुर गया। इसके बाद पूर्णिया में दोस्तों के घर रुका। बीते रविवार को अपने गांव गया था। जहां से केनगर पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
जल्दी पैसा कमाने की फिराक में पहुचा दिल्ली, बड़ा हाथ मारने की जुगाड़ में था
पमपम ने पुलिस को बताया कि वह जल्दी पैसा कमाने की इच्छा में गांव से दिल्ली पहुंचा था। यहां कुछ दिन मजदूरी की। फिर उसने 5-6 दिन तक एक पतंजलि स्टोर पर काम भी किया। दोनों ही जगह उसका मन नहीं लगा। पतंजलि स्टोर के पास उसने एक विज्ञापन देखा, जिसमें नौकरी ही नौकरी लिखा था। इसके बाद वह उक्त प्लेसमेंट एजेंसी पर जा पहुंचा। तीन दिन लगातार यहां पहुंचकर उसने काम मांगा। प्लेसमेंट एजेंसी ने चौथे दिन उसे सहाय का मोबाइल नंबर और तीन सौ रुपए दिए। इसके बाद वह भोपाल आ गया और सहाय के मकान पर काम करने लगा।