भारत में कारें जल्द ही इन-बिल्ट कॉलिजन वार्निंग सिग्नल के साथ आ सकती हैं

भारत में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी जारी रहने के कारण केंद्र सरकार कार सुरक्षा में नए मानदंड लागू करने की योजना बना रही है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक मसौदा नीति साझा की है जिसमें देश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के लिए यात्री कारों के साथ-साथ वाणिज्यिक वाहनों में इन-बिल्ट कॉलिजन वार्निंग सिग्नल लगाने का प्रस्ताव है। कॉलिजन वार्निंग सिग्नल (टकराव चेतावनी संकेत) को मूविंग ऑफ इंफॉर्मेशन सिस्टम (एमओआईएस) (MOIS) कहा जाता है। इसे ‘चार पहिया वाहनों, यात्री और वाणिज्यिक वाहनों की कुछ श्रेणी’ में लगाने का प्रस्ताव है। मंत्रालय ने कहा कि इससे पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों के साथ संभावित टकराव की स्थिति में वाहनों को चेतावनी देने में मदद मिलेगी।

मंत्रालय द्वारा जारी मसौदा, जिसे ‘पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों का पता लगाने के लिए मूविंग ऑफ इंफॉर्मेशन सिस्टम के संबंध में मोटर वाहनों की मंजूरी’ कहा जाता है, पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों को नजदीक से पहचानने के साथ-साथ संभावित टकराव के बारे में चालक को सूचित करने का एक सिस्टम है। मसौदा नीति में एमओआईएस के लिए मानक की भी रूपरेखा दी गई है जिसे मसौदे को मंजूरी मिलने के बाद अधिसूचित किया जाएगा।

यह मसौदा नीति उन रिपोर्टों के बीच आई है कि भारत में पिछले साल कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं। इन हादसों में मरने वालों की संख्या 1,68,491 हो गई है। इन सड़क हादसों में करीब 4.45 लाख लोग घायल भी हुए थे। भारतीय सड़कों पर तेज रफ्तार सबसे बड़ी जानलेवा कारण बनी हुई है। 2022 में हुई लगभग 75 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण यही है। सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों के पीछे रॉन्ग साइड ड्राइविंग भी सबसे बड़े कारणों में से एक है, जिसका योगदान लगभग छह प्रतिशत है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा था कि उनके मंत्रालय का लक्ष्य अगले साल के भीतर दुर्घटनाओं की संख्या आधी करना है।

MoRTH ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में कहा, “कम स्पीड से चलने वालों में M2, M3, N2 और N3 वाहन श्रेणी के वाहनों (सब्जेक्ट व्हीकल्स) और पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों के बीच टकराव शामिल है, इन कमजोर सड़क उपयोगकर्ताओं (वीआरयू) के लिए गंभीर परिणाम हैं। चूंकि इन विशेषताओं के साथ टकराव अभी भी होते हैं और कई वाहन सेगमेंट में एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम पेश की गई हैं। इसलिए सब्जेक्ट व्हीकल्स और वीआरयू के बीच दुर्घटनाओं से बचने के लिए ऐसी असिस्टेंस सिस्टम का इस्तेमाल करना स्पष्ट है।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार ड्राफ्ट को मंजूरी मिलने के बाद वाहन निर्माताओं को इसके सुझावों के आधार पर इन-हाउस एंटी-कॉलिजन मैकेनिज्म विकसित करने के लिए कुछ मानक सुनिश्चित करने होंगे। वीआरयू के साथ संभावित टकराव की स्थिति में सिस्टम काम करेगा। रिपोर्ट में वीआरयू को वयस्क या बाल पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों के रूप में संदर्भित किया गया है। MoRTH ने कहा, “इसलिए, इस मानक के लिए पैदल चलने वालों या साइकिल चालकों के वाहन के सामने महत्वपूर्ण ब्लाइंड स्पॉट क्षेत्र में प्रवेश करने की स्थिति में निकटता सूचना संकेत के सक्रियण की जरूरत होती है। अगर सब्जेक्ट व्हीकल्स या तो सीधी रेखा में चलना शुरू कर कर रहा है या कम स्पीड पर सामने यात्रा कर रहा है।”

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