जम्मू-कश्मीर कैबिनेट में पूर्ण राज्य के प्रस्ताव को मंजूरी
नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किए जाने का प्रस्ताव पारित किया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अब जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर दर्जा बहाल करने का आग्रह कर सकते हैं।
उमर सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया। हालांकि, इसके बाद सीएम उमर विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। विपक्ष ने उन पर अनुच्छेद 370 पर अपने वादे से मुकरने का आरोप लगाया है।
पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और इंजीनियर रशीद की अवामी इत्तेहाद पार्टी ने कहा कि उमर भाजपा के एजेंडे को ही जारी रखना चाहते हैं। विपक्ष ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणापत्र के वादे की याद दिलाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370, 35ए और राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रयास करें।
विपक्ष के निशाने पर उमर
राज्य का दर्जा बहाली का पहली कैबिनेट में प्रस्ताव पारित करने के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस (पीसी) तथा इंजीनियर रशीद की अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) ने इस फैसले पर उन्हें घेरते हुए कहा है कि उमर भाजपा के एजेंडे को ही जारी रखना चाहते हैं। नेकां चुनाव में घोषणापत्र में किए वादे से मुकर रही है।
कैबिनेट की पहली बैठक में उमर मंत्रिमंडल ने राज्य बहाली का प्रस्ताव पारित किया था। मुख्यमंत्री इस प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उनसे राज्य का दर्जा बहाली का आग्रह कर सकते हैं। उनसे राज्य के लोगों से किए गए वादे को पूरा करने का आग्रह कर सकते हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस कदम की निंदा की।
उन्होंने नेकां अपने चुनावी वादे की याद दिलाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370-35ए और राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रयास करें। अपने घोषणापत्र में नेकां ने वादा किया था कि अंतरिम अवधि में हम जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 और केंद्र शासित प्रदेश सरकार के व्यवसाय के लेनदेन नियम, 2019 को फिर से बनाने का प्रयास करेंगे। पार्टी चुनाव के बाद अपने कामकाज की पहली सूची में इस क्षेत्र से राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा छीनने के केंद्र के फैसले के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करेगी।
370 पर कोई समाधान न होना बड़ा झटका : पीडीपी
पीडीपी नेता और पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने पूछा कि क्या यह जम्मू-कश्मीर के लिए अच्छा संकेत है, जब पहली कैबिनेट बैठक राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रस्ताव के बारे में गोपनीयता में डूबी हुई है, लेकिन जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को बहाल करने के बारे में कोई बात नहीं है। एक्स पर कहा कि क्या यह दिल्ली के अवैध क्रूर अशक्तीकरण और भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य को निर्वस्त्र करने को लीपापोती करना और वैध बनाना नहीं है? यह पूर्ण समर्पण है। पीडीपी युवा विंग के अध्यक्ष वहीद पारा ने कहा कि राज्य के दर्जे पर अब्दुल्ला का पहला प्रस्ताव 5 अगस्त, 2019 के फैसले के समर्थन से कम नहीं है। एक्स पर कहा कि अनुच्छेद 370 पर कोई समाधान नहीं होना और केवल राज्य की मांग करना एक बड़ा झटका है। खासकर अनुच्छेद 370 को बहाल करने के वादे पर वोट मांगने के बाद।
करना चाहिए था प्रस्ताव : पीसी
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के प्रमुख सज्जाद लोन ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि कथित तौर पर कैबिनेट द्वारा पारित राज्य के दर्जे का प्रस्ताव रहस्य और गोपनीयता में इतना डूबा हुआ है कि केवल चुनिंदा अखबार ही इसे प्रकाशित करता है। एक्स पर कहा कि मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर के सीएस (मुख्य सचिव) ने सूचित कर दिया है क्योंकि यह प्रोटोकॉल है। हालांकि, इस प्रस्ताव को कैबिनेट के बजाय विधानसभा में पारित किया जाना चाहिए था। मैं बहुत विनम्रता से कहता हूं कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा विधानसभा में प्रतिबिंबित होती है, कैबिनेट में नहीं। जहां तक उनकी जानकारी है, राज्य का दर्जा या अनुच्छेद 370 जैसे प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने के लिए विधानसभा पूरे देश में उचित संस्था है। जब नेकां सरकार ने स्वायत्तता पर प्रस्ताव पारित किया, तो उन्होंने इसे विधानसभा में पारित किया, न कि कैबिनेट प्रस्ताव के माध्यम से। अब क्या बदल गया है। समझ में नहीं आता कि यह प्रस्ताव विधानसभा के लिए आरक्षित क्यों नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने सवाल किया कि हम हर चीज को छोटा बनाने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं? उन्हें यह देखना अच्छा लगेगा कि विधानसभा में पेश होने पर भाजपा और अन्य दल राज्य के दर्जे और अनुच्छेद 370 के प्रस्ताव पर किस तरह से मतदान करते हैं। नेकां को उसकी चुनाव पूर्व प्रतिबद्धता की याद दिलाते हुए कहा कि हम किसी असाधारण चीज की मांग या उम्मीद नहीं कर रहे हैं। आपने अपने घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर के लोगों से जो वादा किया था उसे पूरा करें।
भाजपा के हाथों में खेल रहे उमर : रशीद
अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के प्रमुख और सांसद इंजीनियर रशीद ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर भाजपा के हाथों में खेलने का आरोप लगाया। नेकां को केंद्र सरकार की ओर से लिए गए निर्णय से बहुत पहले ही अनुच्छेद 370 निरस्त करने के बारे में पता था। विधानसभा चुनावों में अधिकांश सीटें जीतना पार्टी को भाजपा के पूर्ण समर्थन का परिणाम था। शुक्रवार कोप्रेसवार्ता में रशीद ने कहा, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों में नेकां को सामरिक मदद मिली है, जिससे पार्टी को 42 सीटों का फायदा हुआ। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि नेकां और भाजपा पर्दे के पीछे रणनीति खेल रहे हैं।
यह सामने आया है कि उमर अब्दुल्ला ने पहली कैबिनेट बैठक में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है, लेकिन यह नेकां की बातों के विपरीत है। नेकां ने अनुच्छेद 370 और अन्य संबंधित चीजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने का वादा किया है, लेकिन सच्चाई यह है कि उमर केवल राज्य का दर्जा बहाल करने पर ध्यान केंद्रित कर मुख्य मुद्दों से भटक रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार ने राज्य का दर्जा देने का वादा किया है। उमर अब्दुल्ला अपने दादा शेख अब्दुल्ला की राह पर चल रहे हैं, जिन्होंने भी जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा कि उमर अपना ध्यान केवल राज्य के दर्जे पर केंद्रित कर रहे हैं और हाल ही में उन्होंने दावा किया था कि केंद्र में भाजपा की सरकार नहीं होने के दौरान अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग की जाएगी। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि अगर भाजपा तब तक सत्ता में रहती है तो क्या कश्मीरियों को 100 साल तक इंतजार करना चाहिए।