CAB… CAA… NRC… NPR… और अब NSA, उपद्रव किया तो खैर नहीं
नई दिल्ली। सबसे पहले देश की संसद से नागरिकता संशोधन बिल को पास किया गया। इसके बाद राष्ट्रपति की मुहर लगते ही यह नागरिकता संशोधन कानून बना। इसके तहत भारत के बाहर से आए शरणार्थियों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों को) को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
वहीं देश में एनआरसी को सबसे पहले असम राज्य में लागू किया गया। इसके तहत बाहर से आए घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकाला जाएगा। वहीं एनपीआर के तहत भारत की जनसंख्या की गणना की जाएगी। इसका काम साल 2020 के अप्रैल माह से शुरू हो सकता है। वहीं अब एनएसए की बात की जा रही है।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए), जिसे रासुका भी कहते हैं, इसके तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अधिकतम एक साल तक जेल में रखा जा सकता है। दरअसल मोदी सरकार अब सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों में जो हिंसात्मक तत्व शामिल हैं उन पर यह कानून लागू करने का विचार कर रही है।
आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के चलते देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। कुछ प्रदर्शन सीएए के समर्थन में हैं और कुछ विरोध में। इन प्रदर्शनों में कई लोगों की जान गई, हिंसा हुई और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा। ऐसे में सरकार प्रदर्शनकारियों पर लगाम लगाने के लिए उन पर रासुका लगाने की तैयार कर रही है। आइए विस्तार से जानते हैं इस कानून के बारे में
क्या है कानून
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति देता है।
कब बना ये कानून
देश में कई प्रकार के कानून बनाए गए हैं। ये कानून अलग-अलग स्थिति में लागू किए जाते हैं। इन्हीं मे से एक है रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून। 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान इसे बनाया गया था। ये कानून देश की सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है।
किन पर होगी कार्रवाई
अगर सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति उन्हें देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है। यदि सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ी कर रहा है को वह उसे हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है। इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।
कितनी हो सकती है सजा
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार को यह सूचित करने की आवश्यकता है कि NSA के तहत एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उनके खिलाफ आरोप तय किए बिना 10 दिनों के लिए रखा जा सकता है। हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील की अनुमति नहीं है।
अब तक किस पर लगा ये कानून
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर को कई महीने तक जेल में रखा गया था। वहीं इस कानून के तहत मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम को जेल में रखा गया था। सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करने पर उन्हें नवंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था। वह 133 दिन जेल में रहे थे।