सीएए लॉ: सड़कों पर उतरी पुलिस…मिश्रित आबादी में एलआईयू भी सक्रिय

देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) सोमवार को लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही डीजीपी के निर्देश पर पूरे प्रदेश में अलर्ट कर दिया गया। इसे देखते हुए कानपुर पुलिस कमिश्नरी के अधिकारी भी सड़कों पर उतर आए। संवेदनशील इलाकों में रूट मार्च किया गया।

इधर, हलीम कॉलेज के साथ ही मिश्रिम आबादी वाले क्षेत्रों में एलआईयू भी तैनात रही। हर एक गतिविधि की रिकॉर्डिंग की गई। अधिकारियों ने कहा कि लोगों को इसमें भ्रम नहीं होना चाहिए यह नागरिकता देने का कानून है, नागरिकता लेने का नहीं।

सीएए के लागू होने के साथ ही पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार के अलावा एडिशनल सीपी कानून व्यवस्था हरीश चंदर, सभी डीसीपी और एडीसीपी सड़कों पर उतरे। नई सड़क, घंटाघर, चमनगंज, बेकनगंज, कंघीमोहाल, जाजमऊ, बाबूपुरवा, बर्रा, नौबस्ता आदि इलाकों में रूट मार्च किया।

विश्वास दिलाया कि कानून से किसी को हानि नहीं होने वाली
ड्रोन से भी निगरानी कराई गई। रात होने पर ड्रोन को उतारा गया। रूट मार्च के दौरान पुलिस ने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि इस कानून से किसी को हानि नहीं होने वाली। गश्त में पीएससी, सीएपीएफ, सिविल पुलिस आदि फोर्स शामिल रही।

पुलिस कर्मियों की छुट्टियां निरस्त
एडीशनल सीपी हरीश चंदर ने बताया कि त्योहार और सीएए के चलते सभी पुलिस कर्मियों की छुट्टियां निरस्त कर दी गई हैं। जो छुट्टी पर जा चुके हैं, उन्हें भी वापस बुला लिया गया है।

सोशल मीडिया की निगरानी क्राइम ब्रांच को
एडिशनल सीपी ने बताया कि थानों में सक्रिय साइबर पुलिस तो सोशल मीडिया की निगरानी कर रही है। साथ ही क्राइम ब्रांच की साइबर सेल को भी लगाया गया है। जो भी गलत जानकारी फैलाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीएए लागू हो गया है। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि यह कानून नागरिकता देने के लिए है, छीनने के लिए नहीं। मेरी अपील है कि यदि कोई इसे लेकर भ्रामक सूचना फैला रहा है तो पुलिस को तत्काल इसकी जानकारी दें। – हरीश चंदर, एडिशनल पुलिस कमिश्नर, कानून व्यवस्था

नागरिकता संशोधन कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आने वाले हिंदू, सिख, जैन, पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता प्राप्त करने के लिए 11 साल भारत में रहने की अनिवार्यता को समाप्त करके पांच साल कर दिया गया है। यह अच्छा फैसला है। -विनोद शुक्ला, अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट

अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आकर यहां शरणार्थी शिविरों में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन समुदाय के लोगों के लिए केंद्र सरकार का यह अध्यादेश नया सूर्योदय लेकर आया है। अब ऐसे लोग भारत की नागरिकता ग्रहण कर सकेंगे, जो इसे लेकर भड़का रहे हैं, उनकी बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। -प्रकाश पाल, क्षेत्रीय अध्यक्ष, भाजपा
नागरिकता संशोधन कानून लागू किए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद। यह कानून अल्पसंख्यकों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह किसी की नागरिकता छीनने नहीं बल्कि देने का कानून है। इसे समझने की जरूरत है। -सत्यदेव पचौरी, सांसद

सीएए नागरिकता देने वाला कानून है, नागरिकता लेने वाला नहीं है। देश के अंदर ऐसे लाखों परिवार जो शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं, उनको प्रधानमंत्री की ओर से बड़ा तोहफा है। ऐसे लोग अब देश की मुख्य धारा में सम्मान से शामिल हो सकेंगे। -सुरेंद्र मैथानी विधायक

नागरिकता संशोधन कानून से पड़ोसी मुस्लिम देशों से आए सिख समाज के लोगों को अब भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी। अभी तक उन्हें अवैध शरणार्थी माना जाता था। पड़ोसी देशों से सिखों को भारत आकर रहना आसान हो जाएगा। -सिमरन जीत सिंह, प्रधान श्री गुरु सिंह सभा कानपुर महानगर

लोकसभा चुनाव में लाभ लेने के इरादे से सीएए कानून को ऐसे समय में लागू किया गया है। इससे देश की साझी विरासत को धक्का लगा है। कांग्रेस इसका विरोध करती है। -अमित पांडेय जिलाध्यक्ष नगर ग्रामीण

क्या होता है नागरिकता संशोधन कानून
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 भारत के तीन पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आये शरणार्थीयों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण मांगी थी, उनको भारत की नागरिकता का अधिकार देने का कानून है। यह कानून केवल उन लोगों के लिए है जिन्होंने वर्षों से उत्पीड़न सहना पड़ा है। इस कानून के तहत किसी भी भारतीय नागरिक के नागरिकता नहीं जाएगी, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। जिससे कि धार्मिक शरणार्थियों को मूलभूत अधिकार मिलेगा। नागरिकता अधिकार से उनके सांस्कृतिक, भाषिक व सामाजिक पहचान की रक्षा होगी। इसके साथ ही आर्थिक, व्यवसायिक, फ्री मूवमेंट, संपत्ति खरीदने जैसे अधिकार मिलेंगे।

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