इस विधि से करें पितरों का तर्पण, दूर होगी जीवन की सभी बाधा…

आषाढ़ अमावस्या माह में आने वाली अमावस्या का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। हालांकि यह तिथि धार्मिक कार्यों के लिए बहुत कल्याणकारी मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन पवित्र नदियों में स्नान, कालसर्प दोष (Kaal sarp dosh), शनि दोष (Shani dosh), गृह दोष निवारण, पितरों का तर्पण और दान आदि के लिए अच्छा माना जाता है, तो चलिए पितृ तर्पण कैसे करना चाहिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं?

पितृ तर्पण विधि

पितृ पक्ष या फिर किसी भी अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करना चाहिए।

तर्पण के लिए कुश, अक्षत, जौ और काला तिल का उपयोग किया जाता है।

इसके बाद उनके प्रार्थना मंत्र का जाप करना चाहिए।

फिर उनका आशीर्वाद लेते हुए प्रार्थना करनी चाहिए।

तर्पण के दौरान पूर्व दिशा की ओर मुख होना चाहिए।

फिर जौ और कुश से ऋषियों के लिए तर्पण करें।

इसके पश्चात उत्तर दिशा की ओर मुख करके जौ और कुश से मानव तर्पण करें।

अंत में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके काले तिल और कुश से पितरों का तर्पण करें।

पूजा में हुई गलती के लिए क्षमायाचना करें।

शुभ मुहूर्त

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 42 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक।

पितृ प्रार्थना और पूजन मंत्र

1. पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।

पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।

प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।

सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।।

2. ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो व:

पितर: शोषाय नमो व:

पितरो जीवाय नमो व:

पीतर: स्वधायै नमो व:

पितर: पितरो नमो वो

गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।।

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