11 हजार वोल्ट के तार से छूते ही बस में लगी आग, 23 यात्री कूदकर भागे, हुई मौत…

श्रीगंगानगर/अनूपगढ़.रायसिंहनगर से 365 हैड के लिए रवाना हुई लोक परिवहन की एक बस बुधवार शाम अनूपगढ़ में बिजली के ढीले तारों से टकरा गई। देखते ही देखते बस में आग लग गई, जिससे दो यात्रियों की मौके पर मौत हो गई। हादसा बुधवार शाम 7:28 बजे का है। लापरवाही यह रही कि चक्काजाम से निपटने को चालक बस को तंग गलियों में ले गया था, जहां यह हादसा हो गया।
11 हजार वोल्ट के तार से छूते ही बस में लगी आग, 23 यात्री कूदकर भागे, हुई मौत...

यात्री कहते रहे, तार नीचे हैं, बस गलियों में मत ले जाओ, चालक ने एक की नहीं सुनी…

– चश्मदीदी के मुताबिक, बस 7:20 बजे अनूपगढ़ स्टैंड से 365 हेड के लिए रवाना हुई थी। शहर के उधमसिंह चौक से नाहरांवाली मार्ग पर महज एक किलोमीटर आगे भी नहीं पहुंची कि 16 ए के पास स्थित राधास्वामी डेरे के पास की गली में ट्रांसफार्मर से पहले ही 11 हजार की लाइन के बिजली के ढीले तारों से टकरा गई। इससे बस में करंट आ गया और देखते ही देखते बस धू-धू कर जलने लगी।
– बस में मौजूद यात्रियों में हड़कंप मच गया। जैसे तैसे यात्रियों ने जान बचाई लेकिन इस बीच दो जने करंट से झुलस गए। हादसे के बाद अनूपगढ़ और आसपास के गांवों से सैकड़ों लोग मौके पर पहुंचे और अपने स्तर पर ही आग बुझाने का काम शुरू किया।
– एसएचओ भवानीसिंह चारण ने बताया कि करंट से झुलसे दोनों जनों को एंबुलेंस से हॉस्पिटल पहुंचाया लेकिन इससे पहले ही इनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। घटना के बाद चालक और परिचालक मौके से भाग गए।
मृतकों में एक 12 एनपी रायसिंहनगर का रामलाल नायक पुत्र नानूराम उम्र करीब 37 वर्ष और दूसरा परमाराम पुत्र भूराराम जाति ब्राह्मण उम्र 60 वर्ष निवासी 365 हैड का बताया जा रहा है। हादसे के तुरंत बाद बीएसएफ -अनूपगढ़ व आम लोगों ने ही अपने स्तर पर टैंकरों से आग पर काबू पाया। 
– उधर, सूचना के बाद कलेक्टर ज्ञानाराम और एसपी हरेंद्र महावर भी देर रात 12 बजे अनूपगढ़ पहुंचे। एसपी ने बताया कि जिस रास्ते चालक ने बस को ले जाना चाहा वह तो आगे जाकर बंद होता है। इससे पता चलता है कि चालक इस रास्ते से अनजान था और उसकी लापरवाही से ही यह हादसा हुआ है। जिन दो लोगों की मृत्यु हुई है वे किसी काम से बाजार आए थे। किसान चक्काजाम से उनका कोई लेनादेना नहीं था।

हादसे का गवाह: करंट के झटके लगे तो सब घबरा गए, महिलाएं तो चिल्लाने लगीं

– बस में मौजूद 16 साल के सीताराम भाटिया ने भास्कर को बताया कि मैं अनूपगढ़ के एक स्टूडियो में काम करता हूं। जिस वक्त हादसा हुआ मैं बस में ही सवार था। मैं अनूपगढ़ में 27 ए के मौड़ से इस बस में चढ़ा था। हम कुछ ही दूरी पर चले कि बस में मौजूद एक करीब 60 साल के बुजुर्ग ने आवाज लगाई- आगे बिजली की तारें बहुत नीची हैं, ध्यान रखना, बस में करंट आएगा, हो सके तो अपने आप को बचा लेना। बस को बिना छुए नीचे कूद जाना।
– वे अपनी बात पूरी करते उससे पहले ताे करंट के झटके लगने शुरू हो गए। बस में अफरा-तफरी मच गई। बस में 25 के करीब लोग थे। इनमें 6-7 महिलाएं भी थीं। सब चिल्लाने लगीं। कुछ पुरुष भी रोने लगे। मेरे हाथ में एकाएक करंट का झटका लगा। किसी तरह जान बचाकर बस से कूद गया। मेरे बाद एक 35-38 साल का व्यक्ति कूदने लगा तो उसका हाथ खिड़की से टकरा गया। वह वहीं चिपक गया। चिल्लाने लगा।
– देखते ही देखते वह बस से चिपककर टायरों के नीचे तक चला गया। बाकी सवारियां तो बस से नीचे कूद गई मगर दो जने ज्यादा झुलस गए। उन्हें आसपास के लोगों ने हॉस्पिटल पहुंचाया। 12 से 15 मिनट में बस पूरी तरह से जल गई। बाद में एसएचओ ने बताया कि झुलसे दोनों की मौत हो गई। मरने वालों में एक वही बुजुर्ग शामिल है, जिसने यात्रियों को खतरे से सावचेत किया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हम सब यात्री चालक को रोकते रहे कि इन गलियाें से बस को न ले जाए। तार नीचे हैं, लेकिन उसने एक की नहीं सुनी।

बड़ा सवाल :चक्काजाम था तो संचालक ने क्यों चलाई बस?

जब किसान दो दिनों से चक्काजाम किए हैं और वाहनों को निकलने ही नहीं दे रहे हैं तो संचालक ने बस को रवाना ही क्यों किया? यह बस 86 आरबी के एसएस बराड़ की बताई जा रही है। सवाल यह भी है कि आखिर क्यों संचालक और चालक ने चंद रुपए कमाने के लालच में 25 यात्रियों की जान खतरे में डाली। लोगों ने कहा कि बस संचालक व चालक पर लापरवाही का मुकदमा दर्ज किया जाए।

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अनदेखी : कई बार कहा, फिर भी तार नहीं कसी विद्युत निगम ने

बिजली के इन ढीले तारों को कसने के लिए आसपास के लोगों ने कई बार विद्युत निगम को कहा था लेकिन निगम के अधिकारियों ने हर बार लापरवाही दिखाई। तारें इतनी नीची थीं कि कभी भी हादसा हो सकता था फिर भी निगम ने इस जायज मांग पर ध्यान नहीं दिया। लोगों ने कहा कि तार इतने नीचे थे कि उन्हें आसानी से छूआ जा सकता था। कई बार तो हादसा होते-होते भी बचा।

लापरवाही: जगह-जगह थे पुलिस के जवान तो रोका क्यों नहीं?

यह बस रायसिंहनगर से 365 हेड के लिए रवाना हुई थी। जगह-जगह जाम से गुजरी। कई जगह पुलिस ने देखा भी, फिर भी उसे नहीं रोका। यदि पुलिस बस को ही नहीं चलने देती तो शायद यह हादसा ना होता? बस ड्राइवर भी लापरवाही से बस की गांव की संकरी गलियों में दौड़ता रहा। बस में बैठी सवारियों ने मना भी किया। लेकिन ड्राइवर नहीं माना।

सबसे बड़ा कारण लालच…रोडवेज बसें बंद थी, ज्यादा पैसे कमाने को रवाना की बस

दरअसल किसानों की हड़ताल और बंद के बीच रोडवेज बसें बंद थीं। ऐसे में कुछ निजी बस संचालक इसलिए अपनी बसें चलाते हैं कि उन्हें सवारियां अधिक मिलेंगी। इतना ही नहीं, जाम से बचने के लिए कई बार कच्चे और ऊबड़-खाबड़ या नए रास्तों से अमूमन बसें निकाली जाती हैं। बुधवार को भी यही हुआ। एक संचालक का पैसों का लालच दो परिवारों को बर्बाद कर गया। यह बस रायसिंहनगर से ही शॉर्टकट रास्तों से अनूपगढ़ पहुंची थी।

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