भारत में पैदा हुई पहली ‘बिना बाप’ की संतान!

देश की पहली संतान होगी जो बगैर पिता के नाम के आगे बढ़ेगी. उसके बर्थ सर्टिफिकेट में उसके पिता का नाम दर्ज नहीं है. ऐसा मद्रास हाइकोर्ट के आदेश के बाद हुआ. नगर निगम के अफसरों ने पिता के नाम वाले कॉलम को ब्‍लैंक छोड़ दिया. हालांकि मां मधुमिता रमेश के लिए पिता का नाम हटवाना आसान नहीं था लेकिन उन्‍होंने दिल पर पत्‍थर रखकर यह फैसला लिया. इसके लिए उन्‍हें लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ी. मधुमिता पति चरण राज से अलग हो चुकी हैं और तविशि का जन्‍म पिछले साल अप्रैल में एक सेमन डोनर की मदद से इंट्रायूटेरिन फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के जरिए हुआ.

नगर निगम ने जबरिया लिख दिया था पिता का नाम

त्रिची कॉरपोरेशन कमिश्‍नर ने हालांकि बच्‍ची के बर्थ सर्टिफिकेट पर मनीष मदनपाल मीना का नाम दर्ज किया था क्‍योंकि उन्‍होंने मधुमिता के इलाज के समय उनकी मदद की थी. इस पर मीना का नाम सर्टिफिकेट से हटाने के लिए मधुमिता ने अधिकारियों से संपर्क किया था लेकिन उनका आग्रह ठुकरा दिया गया. मधुमिता से कहा गया कि नाम में संशोधन स्‍वीकार्य है उसे हटाया नहीं जा सकता.

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चार सितंबर 2017 को मधुमिता ने हाईकोर्ट में अपील की

4 सितंबर 2017 को मधुमिता ने हाईकोर्ट में अपील की. कोर्ट ने राजस्‍व अधिकारियों को उसमें संशोधन करने को कहा. लेकिन इस बार भी मधुमिता का आग्रह ठुकरा दिया गया. राजस्‍व अधिकारियों ने कहा कि नाम हटवाने के लिए योग्‍य अधिकारी रजिस्‍ट्रार ऑफ बर्थ एंड डेथ्‍स हैं. वही इस पर फैसला ले सकते हैं. मधुमिता ने अदालत का फिर दरवाजा खटखटाया. यहां उनके वकील ने कहा कि मीना का नाम जबरन डाला गया है. इसके बाद मीना और चरण राज ने अलग-अलग हलफनामा दिया कि वे बच्‍ची के पिता नहीं हैं. टाइम्‍स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक जस्टिस एमएस रमेश ने जब यह जाना कि मधुमिता ने संतान को जन्‍म चिकित्‍सीय मदद से दिया है तब उन्‍होंने एक मां की मांग स्‍वीकार कर ली. उन्‍होंने त्रिची कॉरपोरेशन के मुख्‍य स्‍वास्‍थ्‍य अफसर को बर्थ सर्टिफिकेट में पिता के कॉलम से मीना का नाम हटाने का आदेश दिया. साथ ही नगर निगम को सिर्फ कॉलम भरने के लिए पिता का नाम न पूछने का निर्देश भी दिया.

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