बॉम्बे HC ने 5 साल से जेल में बंद रेप आरोपी को दी जमानत
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेल में बंद आरोपी को जमानत दे दी है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत 5 साल से जेल में बंद आरोपी को लेकर ये फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा, लड़की के साथ जो कुछ भी हुआ, उसे इसकी पूरी समझ थी, वह अनजान नहीं थी। वह अपनी मर्जी से आरोपी के पास गई थी।
जस्टिस मिलिंद जाधव की बेंच का इस मामले में कहना है कि- मामला भले ही पॉक्सो एक्ट के तहत था और पीड़िता नाबालिग थी। लेकिन लड़की अपने माता-पिता को बताए बिना घर छोड़कर आरोपी के साथ चार दिनों तक रही। मामले की गहराई को देखकर साफ समझ आ रहा है कि लड़की को इस बात की पूरी जानकारी थी कि वो क्या कर रही है, उसने अपनी मर्जी से आरोपी के साथ 4 दिन बिताए थे।
बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत?
बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बेंच को पुलिस रिपोर्ट और लड़की के बाद में दिए गए बयानों में अंतर दिखा जिसमें मेडिकल जांच के दौरान भी बदलाव था।
कोर्ट ने यह भी कहा कि वह आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी। होटल मालिक के बयान से इसके बाद यह भी सामने आया कि लड़की के पिता को भी उनके रिश्ते के बारे में जानकारी थी।
आरोपी पक्ष ने इस मामले में आगे कहा- लड़की की सहमति कानूनी रूप से मान्य नहीं है अदालत में आरोपी पक्ष ने तर्क दिया कि क्योंकि लड़की नाबालिग थी इसलिए उसकी सहमति कानूनी रूप से मान्य नहीं हो सकती।
यह मामला साल 2019 का है, जब यूपी के रहने वाले एक शख्स के खिलाफ रेप की FIR दर्ज की गई थी। बता दें कि ये रिपोर्ट 14 साल की लड़की के पिता ने दर्ज कराई थी।
‘आरोपी का पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं’
हालांकि बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि आरोपी का कोई पहले से आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और उसने पहले ही पांच साल से ज्यादा समय जेल में काट लिया है। साथ ही जमानत देने के साथ बाकी पहलुओं पर भी गौर किया गया। कोर्ट ने कहा कि जमानत का निर्णय लेते समय यह देखना जरूरी है कि आरोपी मुकदमे के लिए हाजिर रहेगा या नहीं।
आरोपी को कोर्ट ने दी ये सलाह
इसके अलावा अपराध की गंभीरता, आरोपी द्वारा फिर से अपराध करने की संभावना, गवाहों को प्रभावित करने या सबूत से छेड़छाड़ करने की संभावना और आरोपी का आपराधिक इतिहास भी ध्यान में रखना जरूरी है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत के दौरान आरोपी को यह ध्यान रखना होगा कि वह कानून का पालन करे और मुकदमे में बाधा डालने की कोई कोशिश न करें।