जम्मू और उधमपुर में भाजपा के किले सुरक्षित, मोदी-शाह-योगी की रैलियां से गाढ़ा किया भगवा

जम्मू-कश्मीर में भाजपा के गढ़ माने जाने वाली कठुआ व जम्मू संसदीय सीट पर पार्टी के बड़े नेताओं की रैलियों ने व्यापक असर डाला है। दोनों सीटों पर भाजपा ने हैट्रिक लगाई है। इन इलाकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने रैलियां कर पार्टी प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे थे।

इस बार के चुनाव प्रचार में सबसे खास बात यह थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावों की घोषणा के बाद प्रदेश में एक मात्र रैली उधमपुर में की। ऐसा माना जा रहा था कि कठुआ संसदीय सीट से लगातार तीसरी बार मैदान में उतरे भाजपा उम्मीदवार डॉ. जितेंद्र सिंह के लिए यह चुनाव परेशानी का सबब बन सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि उम्मीदवार को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ेगा। परंतु उधमपुर के मोदी ग्राउंड में 12 अप्रैल को हुई पीएम की रैली ने डॉ. जितेंद्र सिंह की नैया को पार लगाने में बड़ी मदद की।

इस सीट पर भाजपा की स्थिति का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को यहां रैलियां करनी पड़ीं। इन रैलियों ने वोटरों को न सिर्फ बूथ तक पहुंचाया बल्कि पार्टी के पक्ष में वोट भी तब्दील किया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बसोहली, योगी आदित्यनाथ ने कठुआ व अनुराग ठाकुर ने चिनाब वैली में रैली के माध्यम से जनसमर्थन जुटाया, उसने जीत का मार्ग प्रशस्त किया।

जम्मू संसदीय सीट पर भाजपा के जुगल किशोर ने भी जीत की हैट्रिक लगाई है। जुगल किशोर का चुनाव दूसरे भाजपा प्रत्याशी की तुलना में थोड़ा आसान माना जा रहा था और ऐसा हुआ भी है। यही कारण है कि भाजपा के चुनाव अभियान के टॉप एजेंडे में भी यह सीट शामिल नहीं थी। यहां भाजपा के वरिष्ठ नेता गृहमंत्री अमित शाह के दो कार्यक्रम और अनुराग ठाकुर का एक कार्यक्रम तय किया गया था। शाह की एक रैली तो मौसम की भेंट चढ़ गई परंतु दूसरी रैली ने वोटरों में व्यापक उत्साह भरा। इसका फायदा चुनाव परिणाम में नजर आया। भाजपा इस सीट को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थी।

कश्मीर में मतदाताओं को नहीं रिझा सके
कश्मीर घाटी मे भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे, न ही उसने यहां कोई चुनावी रैली की। परंतु वह परोक्ष रूप से अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को समथर्न दे रही थी। श्रीनगर में मतदान के बाद 16 मई को दो दिन के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने यहां डेरा जमाया था। सीधे तौर पर तो यह दौरा राजनीतिक नहीं बताया गया परंतु राजनीतिक विश्लेषक यह बताते हैं कि बारामुला व अनंतनाग-राजोरी सीट पर होने वाले मतदान के लिए वह पीडीपी व नेशनल कॉन्फ्रेंस के खिलाफ मोर्चेबंदी की कवायत थी।हालांकि चुनाव परिणाम बताते हैं कि बारामुला व अनंतनाग-राजोरी में शाह का दौरा कोई प्रभाव नहीं सका।

लद्दाख में रिजिजू नहीं कर सके करिश्मा
लद्दाख संसदयी सीट पर भाजपा ने ताशी ग्यालसन को मैदान में उतारा था तो लंबे समय से लद्दाख के मामलों को पार्टी स्तर पर देख रहे भाजपा के कद्दावर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के हवाले यहां प्रचार की बागडोर भी सौंप दी गई थी। चुनाव परिणामों को विश्लेषण बताता है कि भाजपा के प्रत्याशी बदलने के साथ कांग्रेस व निर्दलीय उम्मीदवारों की दावेदारी के बीच रिजिजू पार्टी का एजेंडा लोगों को समझाने में सफल नहीं हुए। वह पार्टी के असंतुष्टों को भी संभाल कर नहीं रख सके और पार्टी को यह सीट गंवानी पड़ी।

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