अनोखा पेड़! सूर्य की रोशनी के साथ बदलता है पत्तों का रंग

शिमला ऐतिहासिक इमारतों का शहर है. ऐतिहासिक इमारतों में कई ऐसी ऐतिहासिक चीजें भी है, जो अपने आप में अनोखी है. अंग्रेजों ने अपने राज के समय शिमला में कई प्रकार के प्रयोग किए. जिनमें कई असफल हुए तो कई सफल हुए. इन्हीं सफल प्रयोग का नतीजा शिमला के छराबड़ा में मौजूद राष्ट्रपति निवास में देखा जा सकता है. यहां कुछ ऐसे पेड़ है, जिनके पत्ते सूर्य की रोशनी के साथ अपना रंग बदलते हैं. पेड़ के नीचे से देखने पर लगता है कि पत्ते हरे हैं. लेकिन, सामने से देखने पर पत्तों का रंग डार्क हो जाता है. यह पत्ते सूर्य की रोशनी बढ़ने के साथ-साथ अपना रंग भी बदलते हैं और गाढ़े रंग को अपना लेते हैं. यह अपने प्रकार के अनोखे पेड़ है, जो पूरे देश में केवल हिमाचल में पाए जाते है.

देश में केवल 5 ही पेड़
राष्ट्रपति निवास छराबड़ा के गाइड आकाश ने Local 18 से बातचीत में बताया कि इन पेड़ों का नाम “कॉपर बीच” है. यह पेड़ अपने आप में अनोखे है, जिनका रंग पेड़ के नीचे से हरा तो सामने से डार्क दिखाई देता है. 20 से 25 दिन में पेड़ के पत्तों का रंग डार्क होता है. पेड़ पर जितनी अधिक सूर्य की रोशनी पड़ती है, उतना ही अधिक पत्तों का रंग भी डार्क हो जाता है. पूरे देश में केवल पांच ही पेड़ है, जो हिमाचल में मौजूद है. इनमें तीन पेड़ राष्ट्रपति निवास, एक पेड़ वाइल्ड फ्लावर हॉल और एक पेड़ चायल पैलेस में लगाया गया है.

ब्रिटिश आर्मी के जनरल लेकर आए थे पौधे
अंग्रेजी सरकार के एक आर्मी अफसर लॉर्ड किचनर, जो आर्मी में जनरल थे, वहां इन पौधों को यहां लेकर आए थे. लॉर्ड किचनर को गार्डनिंग का बेहद शौक था. इसलिए वह ब्रिटेन से इन पौधों को यहां लेकर आए थे. इसे एक प्रयोग की तरह भी देखा जा सकता है, जो सफल रहा. हालांकि, भारत में इस तरह के केवल पांच ही पेड़ है, जो हिमाचल प्रदेश में मौजूद है. लेकिन, ब्रिटेन में इन पेड़ों को आसानी से देखा जा सकता है, बहुत से स्थानों पर यह पेड़ सड़क किनारे भी देखे जा सकते हैं.

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