चर्बी कम करने के लिए वीरभद्रासन-2 और 3 बेहतर

वीरभद्रासन-2 और 3 बेहतर

वीरभद्रासन संस्कृत के दो शब्दों वीर यानी योद्धा और भद्र अर्थात मित्र से मिलकर बना है। आसान शब्दों में कहें तो वीरों की मुद्रा में रहकर योग करना वीरभद्रासन कहलाता है। वीरभद्रासन तीन प्रकार के हैं। जब बात वजन कम करने की आती है तो वीरभद्रासन-2 और 3 बेहतर है।

बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए लोग डाइटिंग और एक्सरसाइज का सहारा लेते हैं। साथ ही कैलोरी कट भी करते हैं। ये सभी चीजें मोटापे से निजात दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, बढ़ते वजन को कंट्रोल करने में योग भी कारगर साबित होता है। कई शोधों में खुलासा हो चुका है कि योग कर बढ़ते वजन को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। खासकर, जांघों और कूल्हों की चर्बी कम करने के लिए योग जरूर करें। योग के कई आसान हैं। इनमें एक वीरभद्रासन है। इस योग के तीन प्रकार हैं। इस योग को करने से जांघों और कूल्हों की चर्बी को आसानी से कम कर सकते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

कैसे करें वीरभद्रासन-

अपनी पीठ को सीधा रखें, और आपकी ठोड़ी थोड़ा ऊपर उठा लें। अब, अपनी ऊर्जा के केंद्र को महसूस करते हुए संतुलन बनाएं और अपने दोनों हाथों को अपने साइड्स पर रखें। अब अपने शरीर के वजन को महसूस करने के लिए धीरे-धीरे श्वास लें और छोड़ें। आपका वजन आपके दोनों पैरों पर बराबर होना चाहिए

सबसे पहले समतल स्थान पर योग मैट बिछाकर उस पर सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों को फैलाएं। दोनों पैरों के मध्य कम से कम 3 फीट की दूरी रखें। इसके बाद दोनों हाथों को आगे की तरफ सीधा करें। इससे आपके दोनों हाथ भूमि के समांतर आ जाएं। फिर, दाएं पैर को आगे की तरफ और बाएं पैर को पीछे की तरफ ले जाएं। इस दौरान अपने सिर को आगे की तरफ रखें और आगे ही देखें। आप वीरभद्रासन-2 को करने के लिए तस्वीर का सहारा ले सकते हैं। इस मुद्रा में कुछ देर तक रहें। इसके बाद पुन: पहली अवस्था में आ जाएं। इस योग को करने से जांघों और कूल्हों की चर्बी कम करने में मदद मिलती है। इसके लिए रोजाना वीरभद्रासन-2 जरूर करें। आप चाहे तो वीरभद्रासन-, 1 और 3 भी कर सकते हैं।

आइए जानते हैं वीरभद्रासन करने के लाभ

  • विज्ञान कहता है कि इस मुद्रा में आप जैसे खड़े होते हैं वह आपकी बाहों, कंधों और पैरों के लिए शानदार है। यह मांसपेशियों को भी मजबूत करता है।
  • यह आपको कुछ न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के लक्षणों जैसे ध्यान केंद्रित करने और फोकस बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।
  • यह आसन छाती को खोलता है, जिससे आपके लिए सांस लेने में आसानी हो जाती है।
  • यह पीठ के निचले हिस्से में दर्द और स्टिफनेस से छुटकारा दिला सकता है।
  • यह पूरे शरीर को शक्ति प्रदान करता है और संतुलन भी बढ़ाता है
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