बिजवासन, नई दिल्ली व आनंद विहार रेलवे स्टेशन… पूरा नहीं हुआ विकास का वनवास

एयरपोर्ट की तर्ज पर दिल्ली के आनंद विहार, नई दिल्ली व बिजवासन रेलवे स्टेशन का विकास अभी भी साकार होता नहीं दिख रहा है। इसकी चर्चा करीब डेढ़ दशक से आम है। साल-दर-साल लगभग हर बजट में इनका जिक्र हुआ है। कई योजनाएं बनीं, धड़ाम भी हुईं। बनने-बिगड़ने के क्रम में 14 साल लग गए, लेकिन रेलवे स्टेशनों के विकास का बनवास अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इससे देश के पूर्वी हिस्से व पश्चिमी हिस्से से दिल्ली पहुंचने वाली सभी ट्रेनें आनंद विहार व बिजवासन पर डायवर्ट नहीं हो सकी हैं।

इससे नई दिल्ली व पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर रेल ट्रैफिक का जबरदस्त दबाव रहता है। सुबह के पीक आवर्स में आउटर पर ही रेल मुसाफिरों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। उधर, 23 जुलाई को केंद्र सरकार 2024-25 का आम बजट संसद में पेश करने जा रही है। आम बजट के साथ एक बार फिर रेलवे बजट भी पेश होना है। मुसाफिरों का उम्मीद है कि इस बार का बजट उनके लिए नई उम्मीद लेकर आएगा।

2010 से अब तक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन नहीं बन सका वर्ल्ड क्लास
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की बात करें तो बड़े ही जोर-शोर से 2010 में इसे वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने की घोषणा की गई। वर्ल्ड क्लास डेवलपमेंट अथॉरिटी भी बनीं, लेकिन योजनाएं फाइलों में ही सिमट कर रह गईं। इसके बाद पीपीपी मॉडल पर इसे विकसित करने की योजना तैयार की गई। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को भी इसमें तरजीह मिली, लेकिन इसने भी दम तोड़ दिया। अब पिछले तीन-चार सालों से स्टेशन के विकास के लिए रेल भूमि विकास प्राधिकरण को जिम्मेदारी दी गई है। आधा दर्जन से अधिक बार इसका टेंडर भी निकला, लेकिन अभी तक इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण यानी संविदात्मक समझौते का ही दौर चल रहा है। अब इसके निर्माण में फेरबदल भी किया गया है। अधिकारियों के अनुसार इस स्टेशन का निर्माण विभिन्न चरण में किया जाएगा। लिहाजा अभी भी कई वर्षो का इंतजार बाकी है।

2021 में आनंद विहार के विकास का खाका खिंचा
आनंद विहार रेलवे स्टेशन के दूसरे चरण का विकास कार्य का पूरा खाका 2021 में ही तैयार कर लिया गया था। यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं देने के लिए तीन साल का लक्ष्य रखा गया। स्टेशन परिसर में ही रिहायशी सुविधा, थ्री स्टार के साथ बजट होटल, मॉल, कोचिंग इंस्टीट्यूट एरिया भी विकसित करने की योजना बनी। ट्रांसपोर्ट हब भी विकसित होना है ताकि कनेक्टिविटी बढ़ने से यात्रियों को लाभ मिले। लेकिन अभी महज इसकी खानापूर्ति ही हो रही है। भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम निजी सहभागिता से इसे पुनर्विकसित करने वाला था। स्टेशन विकास के साथ ही आनंद विहार स्टेशन पर आशियाना बनाने के लिए 99 साल की लीज की घोषणा की गई।

दूसरे स्टेशनों का दर्द भी कम नहीं
दिल्ली के बड़े स्टेशन ही नहीं, कई छोटे स्टेशनों को भी आधुनिक सुविधाओं से लैस होना है। इनमें दिल्ली कैंट, सफदरजंग, दिल्ली सराय रोहिल्ला, पुरानी दिल्ली, शाहदरा, आदर्श नगर रेलवे स्टेशन शामिल है। इनमें सिर्फ सफदरजंग स्टेशन का निर्माण पूरा होता दिख रहा है। पुरानी दिल्ली, निजामुद्दीन, सराय रोहिल्ला का अभी मास्टर प्लान तक तैयार नहीं हुआ है।

2008 की बिजवासन की योजना नहीं चढ़ सकी सिरे
इस रेलवे स्टेशन पर 30,400 वर्ग मीटर का एक स्टेशन भवन बनाया जा रहा है। 12,500 वर्ग मीटर का ओपन एयर कॉनकोर्स होगा। कॉनकोर्स एरिया में आधुनिक वेटिंग रूम और एयरपोर्ट की तरह दुकानें भी होंगी, ताकि ट्रेनों के इंतजार के दौरान यात्रियों को सुविधाएं मिल सके। इस स्टेशन के विकास की योजना 2008-09 में ही बनी थीं। दिल्ली विकास प्राधिकरण भूमि अधिग्रहण में कोताही, पेड़ों की कटाई और एयरपोर्ट के समीप होने की वजह से ऊंचाई को लेकर परेशानी हुई और वर्षों तक निर्माण अधर में रहा। निजी भागीदारी से स्टेशन निर्माण की बात नहीं बनी तो 2016-17 में रेलवे के कंस्ट्रक्शन विभाग ने स्टेशन निर्माण की तैयारी की। पहले चरण में 44 करोड़ खर्च करने की बात आई, जिससे आठ प्लेटफार्म और चार सब-वे बनने थे। इस काम को पूरा करने के लिए 18 महीनों का लक्ष्य रखा गया था। पूरा टर्मिनल तीन साल में तैयार होने की बात की गई।

अब तक टर्मिनल भी नहीं बन सका
बाद में इसे भी रेल भूमि विकास प्राधिकरण को सौंप दिया गया, लेकिन 2024 जुलाई तक बिजवासन टर्मिनल बनकर तैयार नहीं हुआ। हालांकि इन वक्त प्रगति पटरी पर है। इसके शुरू होने से दिल्ली के बाकी बड़े रेलवे स्टेशनों पर बोझ कम होगा। पश्चिमी राज्यों की तरफ जाने वाली ट्रेन यहां स्थानांतरित होनी है। यहां से महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान के लिए ट्रेनों का संचालन होगा। एयरपोर्ट की तरह यात्रियों का प्रवेश व बाहर निकलने का रास्ता अलग-अलग गेट होंगे।

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