बायजूज की वैल्यू घटकर ‘शून्य’, अमेरिकी इनवेस्टमेंट फर्म ने कहा- ‘डूब गए कंपनी में लगाए ₹4,100 करोड़’

मुश्किलों से जूझ रही एडटेक कंपनी के लिए बायजूज (Byju’s) के लिए एक और बुरी खबर है। अमेरिकी इनवेस्टमेंट फर्म प्रोसस (Prosus) ने बायजूज की वैल्यू घटाकर शून्य कर दी है। साथ ही इसने कंपनी में किए अपने 493 मिलियन डॉलर (करीब 4100 करोड़ रुपए) के निवेश को पूरी तरह डूबा हुआ मान लिया है और इसे अपनी बैलेंस-शीट में घाटे के तौर पर दिखाया है। Prosus ने वित्त वर्ष 2024 के जारी अपने एनुअल रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

बायजूज के हालिया राइट्स इश्यू से पहले, Prosus के पास कंपनी की 9.6 फीसदी हिस्सेदारी थी और यह इसकी सबसे बड़ी शेयरधारकों में से एक थी। कंपनी ने कहा, ‘हमने वित्त वर्ष 24 के अंत में बायजूज की वैल्यूएशन को शून्य कर दिया है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि हमारे पास कंपनी की बायजूज की वित्तीय सेहत, देनदारियों और भविष्य की रणनीति को लेकर अपर्याप्त जानकारी है।’

Prosus ने निवेशकों को दिए एक प्रजेंटेशन में, बायजूज में किए अपने निवेश पर इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न (IRR) को माइनस (-) 100 प्रतिशत पर दिखाया। इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न (IRR), किसी भी निवेश पर मुनाफे को मापने का एक तरीका है। IRR माइनस में तब होता है, जब अनुमानित आउटगोइंग कैश फ्लो निवेश के पूरे जीवनकाल में आने वाले अनुमानित इनकमिंग कैश फ्लो से कम होता है।

इससे पहले प्रोसस और पीक XV पार्टनर्स जैसे बायजूज के निवेशकों और कंपनी के मैनेजमेंट के बीच मतभेद की भी काफी खबरें आई थीं। दोनों निवेशकों ने कंपनी के मैनेजमेंट और उसके फैसलों के खिलाफ कई कानूनी चुनौतियां पेश की थी। इसमें प्रमोटर परिवार की ओर से लाया गया राइट्स इश्यू भी शामिल है, जो निवेशकों की शेयरहोल्डिंग को लगभग पूरी तरह से खत्म कर सकती है।

कंपनी के मैनेजमेंट ने वित्तीय नतीजों के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, ‘हम अपने अधिकारों और सभी शेयरधारकों की सुरक्षा चाहते हैं। कंपनी के मैनेजमेंट ने कई कदम उठाए हैं। हमें कंपनी के भविष्य को लेकर उम्मीद है। हमारे लिए कंपनी के प्रशासन में बदलाव करना महत्वपूर्ण है। यह पहला कदम है।’

बायजूस अपने पिछले 22 अरब डॉलर के वैल्यूएशन से 99 प्रतिशत कटौती के साथ राइट्स इश्यू से 20 करोड़ डॉलर जुटा रहा है। हालांकि, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह राइट्स इश्यू से मिलने वाली नकदी का इस्तेमाल तब तक न करे जब तक कि मामले का कोर्ट में फैसला न हो जाए।

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