Bihar : श्रीकृष्ण सेतु पर शुरू हुआ भार परीक्षण

मुंगेर जिले को खगड़िया और बेगूसराय से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण श्रीकृष्ण सेतु पर बुधवार को भार परीक्षण और तकनीकी जांच का कार्य शुरू हुआ। सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर चार बजे तक इस दौरान पुल पर यातायात पूरी तरह से बंद रहा, जिससे लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। पुल की मजबूती और तकनीकी दक्षता की जांच के लिए सीएसआईआर चेन्नई से आई वैज्ञानिकों की टीम इस परीक्षण कार्य का नेतृत्व कर रही है। डॉ. श्रीनिवासन और डॉ. एम. कुमारस्वामी की अगुवाई में कुल 20 सदस्यीय दल पुल के ऊपरी और निचले हिस्सों की बारीकी से जांच कर रहा है।
441 टन भार से पुल की क्षमताओं की हुई जांच
इस तकनीकी परीक्षण के तहत कुल नौ हाईवा वाहनों पर 49-49 टन गिट्टी लादकर उन्हें पुल के अलग-अलग हिस्सों पर खड़ा किया गया। इस प्रकार कुल 441 टन भार से पुल के स्पैन और गार्डर पर दबाव डाला गया, ताकि यह देखा जा सके कि उच्च भार के दौरान पुल किस हद तक कंपन या दबाव को सहन कर सकता है। इस पूरे प्रयोग का उद्देश्य यह जानना है कि पुल पर प्रतिदिन गुजरने वाले भारी वाहनों के कारण उसकी संरचना पर क्या असर पड़ रहा है और भविष्य में किसी तरह की तकनीकी दिक्कत की संभावना तो नहीं है।
पुल की भार क्षमता 110 टन तक, परीक्षण से मिली तकनीकी जानकारी
एनएचएआई के साइट इंचार्ज नीतीश कुमार ने बताया कि श्रीकृष्ण सेतु की अधिकतम भार क्षमता 110 टन प्रति वाहन और न्यूनतम 55 टन निर्धारित है। इस लिहाज से भार परीक्षण के दौरान प्रयोग में लाए गए वाहनों का भार तकनीकी रूप से सुरक्षित सीमा में रखा गया था। जांच के दौरान पुल के नीचे बांसों के सहारे विशेष उपकरण लगाए गए थे, जिनकी मदद से यह पता लगाया गया कि उच्च भार गुजरने पर पुल में कितनी कंपन या झुकाव उत्पन्न हो रहा है। यह परीक्षण पुल की दीर्घकालीन सुरक्षा और मजबूती सुनिश्चित करने के लिए जरूरी था।
छह महीने में यह दूसरी बार परीक्षण, गर्मी में हुई स्पैन जांच
इससे पहले जनवरी 2025 में भी श्रीकृष्ण सेतु की एक बार तकनीकी जांच की गई थी। उस समय ठंड के मौसम में पुल की संरचना की स्थिति परखने के लिए यह परीक्षण किया गया था। अब छह महीने बाद गर्मी के मौसम में दोबारा यह परीक्षण कर यह देखा जा रहा है कि तापमान और मौसम परिवर्तन का पुल की संरचना पर कोई असर तो नहीं पड़ा है।
जांच के दौरान राहगीरों को झेलनी पड़ी परेशानी
पुल पर सुबह से दोपहर तक जांच कार्य के चलते यातायात पूरी तरह बाधित रहा, जिससे आम लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। स्थानीय निवासी और दैनिक यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों का सहारा लेना पड़ा, जिससे उनका समय और संसाधन दोनों प्रभावित हुए। हालांकि प्रशासन ने पहले ही इस अस्थायी अवरोध की सूचना दे दी थी, फिर भी बड़ी संख्या में लोग रास्ते में ही फंसे नजर आए।