बिहार: कोरोना काल में ग्रामीण लोगों के आर्थिक हालात हो गई थी बदतर, लोगों ने खाने के लिए अपनी जमा पूंजी तक की खर्च

कोरोना के दौरान बिहार में ग्रामीण लोगों के आर्थिक हालात बदतर हो गए। 91 प्रतिशत लोगों ने खाने के लिए अपनी जमा पूंजी खर्च कर दी। जमा पूंजी कम पड़ी तो सेठ-साहूकारों से उधार तक लिये। ये हालात सभी वर्ग के लोगों के रहे। यह दर्द कोरोना महामारी से उपजे संकट का अध्ययन कर रही संस्था सीएसीटी बिहार और भूमिका विहार की रिपोर्ट में सामने आया है। भूमिका विहार पिछले दो दशक से गरीबी, भुखमरी आदि के चलते सीमांचल व अन्य जिलों में चाइल्ड ट्रैफिकिंग विषय पर शोध कर रही है।

बेटी के ब्याह को रखे पैसे भी खर्च हो गए

लॉकडाउन में भूख शांत करने को बेटी के ब्याह के लिए रखे पैसे भी खर्च कर दिए। 15 जिलों में किए गए सर्वे में मुजफ्फरपुर और खगड़िया में 98 फीसदी और सुपौल व किशनगंज में 96 फीसदी ने ऐसी बचत की थी। सबसे कम बचत भागलपुर की ग्रामीण इलाकों की महिलाओं ने किया था। यहां 70 ने जमा किये पैसे राशन पर खर्च कर दिए। ये पैसे कम पड़े तो 64 ने पांच हजार से ज्यादा का कर्ज दूसरों से लिया।

90 फीसदी लोगों को कर्ज-उधार लेने पड़े

सर्वे के दौरान सुदूर देहात की महिलाओं ने बताया कि बेटी के ब्याह को रखी पूंजी भोजन में खर्च हो गए। औसत 91 फीसदी लोगों ने सेविंग्स डायवर्ट कर भूख मिटाई। 90 फीसदी लोगों ने रोजी-रोजगार छिनने पर साहूकारों से कर्ज या उधार लिया। इनमें 42 प्रतिशत लोगों ने पांच हजार रुपये से नीचे तक का कर्ज लिया। खगड़िया, मुंगेर में 98, अररिया, मुजफ्फरपुर में 97 व गया, पूर्णिया, दरभंगा में 94, कटिहार 86, सुपौल व बेगूसराय में 92, सहरसा में 88 व समस्तीपुर व बेतिया में 86 लोगों ने सेविंग्स डायवर्ट किए, जबकि भागलपुर वर किशनगंज में 80 फीसदी लोगों ने।

क्या कहते हैं संस्था के अधिकारी? 

हमारी टीम 15 जिलों में बालिकाओं के पलायन पर सर्वे कर रही थी। लेकिन बातचीत के दौरान ही आर्थिक स्थिति की जानकारी मिली, जो दर्दनाक थी। उसे रिपोर्ट में दर्शाया गया है। – शिल्पी सिंह, निदेशक, भूमिका विहार

सर्वे में प्रत्येक जिले से 100 लोगों को किया गया शामिल

संस्था ने कोरोना महामारी के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में टूट चुकी अर्थव्यवस्था पर सर्वे किया। यह सर्वे भागलपुर के अलावा मुजफ्फरपुर, गया, बेगूसराय, पूर्णिया, खगड़िया, मुंगेर, अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल, कटिहार, समस्तीपुर, बेतिया व दरभंगा में किया गया था। हरेक जिले में 100 लोगों से बात की गई। इनमें अल्पसंख्यक, सामान्य, ओबीसी, एससी व एसटी वर्ग के लोग शामिल रहे। एनजीओ ने इन 15 जिलों के ओवरऑल प्रतिशत निकालकर बताया कि सर्वे में औसत 35 फीसदी एससी, 38 फीसदी ओबीसी, 16 फीसदी सामान्य, एक फीसदी एसटी और 10 फीसदी अल्पसंख्यक वर्ग को शामिल किया गया। बता दें कि भूमिका विहार की रिपोर्ट पर केंद्र व राज्य सरकार ने बेटियों के पलायन रोकने को कई ठोस नीतियां भी बनाई हैं। सीएसीटी यानी कैंपेन अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग संस्था भी सर्वे में शामिल रही है।

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