चीन को बड़ा झटका! टेस्ला को भारत लाने के लिए सरकार कर रही पूरी तैयारी

चीन की कुल अर्थव्यवस्था में दो अमेरिकी कंपनियों एप्पल और टेस्ला का बड़ा योगदान इकोनॉमी को रफ्तार देने और रोजगार पैदा करने में है। हाल में अमेरिका-चीन के संबंध और कोविड पॉलिसी के कारण एप्पल ने भारत का रुख कर लिया। अब एप्पल के बाद चीन को एक और झटका लग सकता है। जल्द ही भारतीय बाजार में एलन मस्क की कंपनी टेस्ला भी आने वाली है। ऐसी संभावना है कि टेस्ला को भारत में एंट्री के लिए नए साल में मंजूरी मिल सकती है। पीएमओ ने सरकारी विभागों को आदेश दिया है कि वो जनवरी 2024 तक सभी जरूरी मंजूरी देने के काम को पूरा कर लें।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पीएमओ ने टेस्ला के इंवेस्टमेंट प्रपोजल सहित देश में ईवी मैन्युफैक्चरिंग के अगले फेज का जायजा लेने के लिए सोमवार को टॉप अधिकारियों के साथ बैठक की है। जानकारों के मुताबिक इस बैठक का एजेंडा पॉलिसी मामलों पर फोकस्ड था लेकिन देश में टेस्ला के प्रस्तावित निवेश को जनवरी 2024 तक तेजी से मंजूरी देने की बात कही गई।

बतां दें कि इसी साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी यात्रा की थी। इस दौरान टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और पीएम मोदी की मुलाकात भी हुई थी। उसके बाद से कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, हैवी इंडस्ट्री और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मिनिस्ट्री इलेक्ट्रिक कार मेकर के साथ चर्चा कर रहे हैं। ये डील जनवरी तक इसलिए भी अहम है, क्योंकि गणतंत्र दिवस के मौके पर अमेरिकी प्रेसीडेंट जो बाइडन चीफ गेस्ट के तौर पर उपस्थित होंगे।

मतभेद दूर करने के निर्देश
टेस्ला के सीनियर अधिकारियों ने भारत में कार और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी स्थापित करने की सरकार की योजना पर चर्चा की है। साथ ही ईवी मेकर ने भारत में अपना सप्लाई चेक इकोसिस्टम लाने को भी कहा है। जानकारी के मुताबिक मंत्रालयों और सरकारी विभागों को टेस्ला के साथ किसी भी तरह के मतभेद को दूर करने को कहा है। टेस्ला ने पहले पूरी तरह से असेंबल की गई इलेक्ट्रिक कारों पर 40 फीसदी इंपोर्ट शुल्क लगाने की मांग की थी जबकि मौजूदा दर 40,000 डॉलर से कम कीमत वाले वाहनों पर 60 फीसदी और इससे अधिक कीमत वाले वाहनों पर 100 फीसदी है।

भारत की सीमा शुल्क व्यवस्था इलेक्ट्रिक कारों और हाइड्रोकार्बन पर चलने वाली कारों के बीच अंतर नहीं करती है और लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए हाई चार्ज वसूल करती है। कंपनी चाहती है कि उसकी कारों को लग्जरी कार नहीं बल्कि ईवी माना जाए। हाई चार्ज टेस्ला और भारत सरकार के बीच एक अड़चन का विषय रहा है। टेस्ला चाहता है कि पहले वो मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने से पहले देश में कुछ कारें बेचें।

ईवी पॉलिसी में हो सकता है बदलाव
टेस्ला को भारत में लाने और उसकी इस बात को मानने के लिए सरकार अपनी ईवी पॉलिसी में भी बदलाव कर सकती है। इसके लिए इस पॉलिसी में एक नई कैटेगिरी की भी घोषणा का ऐलान हो सकता है। वैसे अधिकारियों का कहना है कि इस नई कैटेगिरी को लाने का मतलब ये नहीं है कि ये सिर्फ टेस्ला के लिए ही किया जा रहा है। दुनिया की कोई ईवी मेकर जो भारत में मैन्युफैक्चरिंग लगाना चाहती है तो उसे इस सुविधा का लाभ मिलेगा।

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