भारत में बेरोजगारी दर जी-20 देशों में सबसे कम

भारत की बेरोजगारी दर घटकर मात्र 2% रह गई है, जो जी-20 देशों में सबसे कम है। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि पीएम-वीबीआरवाई योजना समेत अन्य पहलों से दो वर्षों में 3.5 करोड़ से अधिक रोजगार सृजित हुए। सरकार ने युवाओं के लिए 2 लाख करोड़ रुपये की पांच नई योजनाएं भी शुरू की हैं।

जी-20 देशों में भारत में बेरोजगारी दर सबसे कम है। यह घटकर दो फीसदी पर आ गई है, जो कई अन्य देशों के मुकाबले भी कम है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, भारत की तीव्र आर्थिक वृद्धि के साथ विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन हुआ है। प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना (पीएम-वीबीआरवाई) सहित अन्य योजनाओं ने इसमें योगदान दिया है।

मांडविया ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा कि पीएम-वीबीआरवाई के तहत दो वर्षों के दौरान कुल 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों का सृजन हुआ है। इसे प्रोत्साहित करने के लिए 99,446 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इनमें से 1.92 करोड़ नौकरियां पहली बार कार्यबल में शामिल होने वालों को लाभान्वित करेंगी। मंत्री ने कहा कि तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल विकास और अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कुल दो लाख करोड़ रुपये के बजट वाली पांच प्रमुख योजनाओं के पैकेज की घोषणा की थी। वहीं, एनसीएस प्लेटफॉर्म डिजिटल रोजगार सुविधा के लिए प्रमुख मंच के रूप में उभरा है।

हर नौकरी चाहने वालों को प्रशिक्षण
श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए मंत्रालय व डिजिटल मेंटरशिप प्लेटफॉर्म ‘मेंटर टुगेदर’ और क्विकर के बीच समझौता हुआ है। इससे पहले वर्ष में दो लाख युवाओं तक पहुंचने की उम्मीद है। इनमें एनसीएस से एक लाख और पीएम-वीबीआरवाई में प्रवेश लेने वाले एक लाख युवा शामिल हैं। एनसीएस मंच पर 52 लाख पंजीकृत नियोक्ताओं, 5.79 करोड़ नौकरी चाहने वालों व 7.22 करोड़ से अधिक रिक्तियों की जानकारी है।

श्रमबल के संगठित होने की बढ़ रही गति
देश के 57 करोड़ श्रमिकों में से 80 फीसदी अब भी अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं। फिर भी इन श्रमिकों के संगठित होने की रफ्तार बढ़ रही है। इससे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 2024-25 में अब तक का सबसे अधिक नामांकन दर्ज किया है। क्वेस कॉर्प की रिपोर्ट के अनुसार, ईपीएफओ ने 2024-25 में 1.40 करोड़ नए ग्राहक जोड़े। यह 2018-19 में दर्ज 61 लाख नामांकनों से दोगुना से भी अधिक है। 2024-25 में सभी नए ईपीएफओ ग्राहकों में 61 फीसदी 29 वर्ष से कम आयु के थे।

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